
कादियां (गुरदासपुर)। शहबाज नाहीद पत्नी इजाज अहमद के लिए सोमवार का दिन यादगार रहेगा। क्योंकि उन्होेंने 65 वर्षों बाद अपनी जन्म भूमि का मुंह देखा।
शहबाज नाहीद ने बताया कि उसका जन्म काहनां ढेसीयां जिला जालंधर में 1943 में हुआ था। उसकी माता का नाम मुहम्मद बीबी तथा पिता का नाम मुहम्मद अबदुल्ला था। उसके दादा जिना का नाम जलालद्दीन था, वह भी गांव ढेसीयां में ही रहते थे। उन्होंने बताया कि उनके चार रिश्तेदार भारत पाक विभाजन से पूर्व यहां रहते थे तथा जब वह 4 वर्ष की थी तब भारत पाक विभाजन हो गया तथा वह अपने परिजनों के साथ लाहौर चली गई थी। शहबाज ने बताया कि उसको अपने घर के बारे में थोड़ा बहुत ही याद था कि वे जहां पर रहते थे, उसके नजदीक एक मस्जिद होती थी तथा उनकी घर की छत पर लोहे का जंगला होता था। उन्होंने बताया कि उसकी माता मुहम्मद बीबी की इच्छा थी कि वह एक बार अपने घर जाए, परन्तु उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हुई। इसी कारण वे पाकिस्तान के बुरे हालातों के कारण कनाडा चले गये थे, परंतु उसके मन में अपने जन्म स्थान को देखने की तीव्र इच्छा थी। आखिर कर उन्होंने भारत का वीजा लगाया तथा कादियां पहुँची। यहां उन्होंने अपनी इच्छा के बारे में अपने रिश्तेदार मनसूर अहमद घनोके से बात की। इस पर उसके प्रयासों के कारण वह अपने जन्म स्थान ढेसीयां पहुँचीं।
कुछ देर में वहां पर 85 वर्षीय वृद्ध मोहन सिंह पहुँचे जिन्होंने बताया कि यहां पर खैरू द्दीन का घर था जब शहबाज नहीद ने अपने बारे में बताया तो मोहन सिंह नाहीद को उसके घर में ले गया। उसके द्वारा बताई जा रही निशानियों को सुन कर आस पास एकत्रित लोग भावुक हो उठे। शहबाज नाहीद ने कहा कि बेशक भारत पाक विभाजन के कारण दोनों देशों में लकीरें खिंच गई हैं तथा विभाजन हो गया है लेकिन आज भी उनके दिल नहीं बंटे हैं। उन्होंने कहा कि भारत पाक के लोग प्यार चाहते हैं तथा दोनों देशों के लोगों को आने जाने की खुल दी जानी चाहिये।