मंडी
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हणोगी में ब्यास नदी पर इस डबललेन पुल की आधारशिला रखी थी। 2009 में इस पुल को विधायक प्राथमिकता में डाला गया था। लोगों को पुल के लिए 10 वर्ष का इंतजार करना पड़ा।
निर्माणाधीन हणोगी-खोलनाल केबल स्टेड ब्रिज।
आधुनिक इंजीनियरिंग की मिसाल कोलकाता और दिल्ली की तर्ज पर 21 करोड़ की लागत से बनने वाला हिमाचल का पहला हणोगी-खोलनाल केबल स्टेड ब्रिज लगभग तैयार है। मार्च तक इसका लोकार्पण कर दिया जाएगा। पुल बनने से कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति जिलों को लाभ होगा। सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा। सराज और द्रंग के लोगों को पुल बनने से पंडोह नहीं जाना पड़ेगा। इससे उनकी 20 किलोमीटर दूरी कम होगी। इसका काम अंतिम चरण में है।
दिल्ली, गोवा, मुंबई और नागपुर में बनें पुलों की तर्ज पर इसका निर्माण होगा। पुल का काम 2019 में शुरू हुआ था। दो से ढाई साल में ही इसे अंतिम चरण तक पहुंचा दिया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हणोगी में ब्यास नदी पर इस डबललेन पुल की आधारशिला रखी थी। 2009 में इस पुल को विधायक प्राथमिकता में डाला गया था। लोगों को पुल के लिए 10 वर्ष का इंतजार करना पड़ा।
122 मीटर स्पैन पर लगेंगे 10 केबल
हणोगी-खोलानाल एक्ट्रा डोज केवल स्टेड ब्रिज का स्पैन 122 मीटर होगा। इसमें दस केबल डलेंगे। अभी तक इसमें चार केबल डल चुके हैं। बाकी केबल डाले जा रहे हैं। इस पुल पर लगने वाले केबल ही इसे अन्य पुलों से अलग बनाते हैं। इसलिए इसे एक्ट्रा डोज केवल स्टेड ब्रिज कहा जाता है। डबललेन पुल पर दोनों तरफ फुटपाथ बनाए जाएंगे। फुटपाथ पर खुली जगह होगी। इसके लिए पुल की चौड़ाई अधिक रखी गई है। फुटपाथ के दोनों ओर रेलिंग स्टील की बनाई जाएगी। इससे पुल की सुंदरता और निखरेगी।
बांबे की फर्म ने तैयार किया है आकर्षक डिजाइन
पुल का डिजाइन बांबे की फर्म ने तैयार किया है। इस तरह के डिजाइन का प्रदेश में अभी तक कोई पुल नहीं है। इसके बनने पर यह प्रदेश का पहला बेहतरीन और लोक लुभावन पुल होगा। इसे देखने के लिए लोग अधिक रुचि दिखाएंगे। पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है।
पुल के काम में कोरोना बना रहा बाधक: एसई
पुल के शुभारंभ से इसकी निगरानी कर रहे लोक निर्माण विभाग के एसई केके कौशल ने बताया कि प्रदेश में बनने वाला यह पुल सबसे आकर्षक होगा। कार्य पूरी पारदर्शिता और गुणवत्ता से करवाया जा रहा है। पुल के निर्माण में कोरोना बाधा नहीं बनता तो इसे रिकॉर्ड समय में तैयार किया जा सकता था। बांबे की फर्म ने इसका डिजाइन तैयार किया है। उस टीम के आने-जाने में काफी दिक्कत हुई। इस कारण निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ। मार्च तक पुल को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।