बर्फबारी ने रास्ता रोका तो जेसीबी मशीन लेकर दुल्हन लेने के लिए पहुंच गया दूल्हा

बर्फबारी ने रास्ता रोका तो जेसीबी मशीन लेकर दुल्हन लेने के लिए पहुंच गया दूल्हा

संगड़ाह (सिरमौर)
सिरमौर जिले के संगड़ाह गांव से रविवार सुबह रतवा गांव के लिए बरात रवाना हुई। बर्फबारी के चलते सड़क बंद होने से बरात डलयाणू तक ही जा पाई। दूल्हे के पिता जगत सिंह ने आगे जाने के लिए जेसीबी मशीन का इंतजाम किया। इसमें दूल्हा विजय प्रकाश, भाई, पिता और फोटोग्राफर बैठकर 30 किलोमीटर सफर तय कर रतवा गांव पहुंचे। वहां पर विवाह की रस्में निभाई और दुल्हन लेकर लौटे।1 of 5
सिरमौर जिले के संगड़ाह गांव से रविवार सुबह रतवा गांव के लिए बरात रवाना हुई। बर्फबारी के चलते सड़क बंद होने से बरात डलयाणू तक ही जा पाई। दूल्हे के पिता जगत सिंह ने आगे जाने के लिए जेसीबी मशीन का इंतजाम किया। इसमें दूल्हा विजय प्रकाश, भाई, पिता और फोटोग्राफर बैठकर 30 किलोमीटर सफर तय कर रतवा गांव पहुंचे। वहां पर विवाह की रस्में निभाई और
सात जन्म साथ निभाने की रस्म अदा करने के लिए जब बर्फबारी और बारिश रोड़ा बनी और सड़क बंद हो गई तो दूल्हा जेसीबी मशीन लेकर दुल्हन लेने पहुंच गया। ससुराल में विवाह की सारी रस्में निभाईं और दुल्हन लेकर वापस घर पहुंचा। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि गिरिपार क्षेत्र के संगड़ाह गांव में रविवार को हुई एक शादी का नजारा है। हुआ यूं कि रविवार सुबह संगड़ाह से रतवा गांव के लिए बरात रवाना हुई। भारी बर्फबारी के चलते बारात डलयाणू तक ही जा पाई। आगे सड़क बंद थी ऐसे में वहां से आगे जाना असंभव था।

दूल्हे के पिता जगत सिंह ने आगे जाने के लिए जेसीबी मशीन का इंतजाम किया इसमें दूल्हा विजय प्रकाश, भाई सुरेंद्र, पिता जगत सिंह, भागचंद व फोटोग्राफर को बिठा कर 30 किलोमीटर सफर तय कर रतवा गांव पहुंचे। वहां पर विवाह की सारी रस्में निभाई और दुल्हन लेकर वापस लौटे।

गिरिपार क्षेत्र के गत्ताधार गांव में भी बारिश और बर्फबारी से सड़क बंद होने के कारण एक दूल्हे को करीब 100 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर अपनी अर्धांगिनी तक पहुंचने के लिए तय करना पड़ा। यदि मार्ग बंद नहीं होता तो यह दूरी केवल 40 किलोमीटर ही थी।

गताधार गांव से रविवार को दूल्हा रामलाल, भाई विरेंद्र, मामा गोपाल सिंह बरात लेकर दुल्हन लेने करीब सौ किलोमीटर अतिरिक्त सफर तय कर उपमंडल संगड़ाह के ग्राम डूंगी पहुंचे।

हालांकि बरात को मुहूर्त के हिसाब से आठ बजे प्रात: निश्चित समय पर पहुंचना था, लेकिन गत्ताधार संगड़ाह मार्ग पर भारी बर्फबारी के चलते उन्हे वाया शिलाई, पांवटा साहिब मार्ग चुनना पड़ा। इसमें भी कई जगह पैदल चलना व गाड़ियों को बदलना पड़ा। जो सफर दो घंटे में तय करना था, वह मार्ग बंद होने के कारण लगभग 12 घंटे में पूरा हुआ।

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