सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, जेबीटी टेट मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, जेबीटी टेट मामले की सुनवाई
शिमला 

प्रदेश हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य करने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्धारित की है। अदालत को बताया गया कि एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना की वैधता सर्वोच्च अदालत में लंबित है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य करने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्धारित की है। अदालत को बताया गया कि एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना की वैधता सर्वोच्च अदालत में लंबित है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। याचिकाकर्ता ने हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की 5 नवंबर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी है। इसमें बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य किया गया था।

आरोप लगाया गया है कि बोर्ड ने निदेशक प्राथमिक शिक्षा की ओर से 4 नवंबर को जारी निर्देशों के आधार पर यह निर्णय लिया है। याचिका में दलील दी गई है कि एनसीटीई की जिस अधिसूचना के तहत बीएड डिग्री धारकों जेबीटी टेट के लिए योग्य किया गया है, उसे राजस्थान हाईकोर्ट रद कर चुका है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भी पुनर्विचार याचिका लंबित है। एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना की वैधता सर्वोच्च अदालत में लंबित है। ऐसे में बीएड धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य करने का निर्णय सरासर गलत है।

बता दें कि 26 नवंबर 2021 को हाईकोर्ट ने जेबीटी भर्ती मामलों पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया था कि शिक्षकों की भर्ती के लिए एनसीटीई के नियम प्रारंभिक शिक्षा विभाग के साथ-साथ अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग पर भी लागू होते हैं। अदालत ने आदेश दिए थे कि एनसीटीई की 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार जेबीटी पदों की भर्ती के लिए नियमों में जरूरी संशोधन किया जाए। अदालत के इस फैसले से जेबीटी पदों के लिए बीएड डिग्री धारक भी पात्र हो गए थे। बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका में पारित आदेशों के अनुसार इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इस रोक के बाद बीएड डिग्री धारक फिर से इन पदों के लिए अयोग्य हो गए थे।

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