सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े में टीजीटी बर्खास्त

धर्मशाला। कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल में स्थित एक निजी बीएड कालेज से शुरू हुआ सर्टिफिकेट फर्जीवाड़ा अब परत-दर-परत उधड़ने लगा है। शिक्षा विभाग ने इस बहुचर्चित फर्जीवाड़े से जुड़े एक अन्य टीजीटी को बर्खास्त कर दिया है। हैरत की बात है कि महज बीए पास उक्त फर्जी अध्यापक ने पहले बीएड और फिर लगातार एमए अंग्रेजी, एमएड और पीएचडी तक की फर्जी डिग्रियां बना लीं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जंबल बस्सी में बतौर टीजीटी तैनात कृष्ण गोपाल के सर्टिफिकेट जाली साबित होने पर उच्च शिक्षा विभाग ने उसे पद से बर्खास्त कर दिया है। शिक्षा उपनिदेशक भजन सिंह ने जाली सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हथियाने के आरोप में कृष्ण गोपाल की बर्खास्तगी की पुष्टि की है।
सूत्रों के मुताबिक इस पूरे प्रकरण के तार ढलियारा स्थित निजी बीएड कालेज से बताए जा रहे हैं। दिलचस्प है कि फर्जी डिग्रियों के सहारे विभाग की आंख में धूल झोंक रहा यह अध्यापक इसी कालेज का पहला प्रिंसिपल रहा है। जबकि कालेज का संचालक इन दिनों सीबीआई की हिरासत में है। हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर हुए इस फर्जीवाड़े में अधिकतर मामलों में मगध युनिवर्सिटी बोध गया का नाम इस्तेमाल किया गया है। टीजीटी पद से बर्खास्त कृष्ण गोपाल ने कथित तौर पर बोध गया विवि के नाम पर 677 अंकों में बीएड, पटना यूनिवर्सिटी से 499 अंकों में एमएड, मगध विवि से 484 अंकों में एमए अंग्रेजी के अलावा मगध विवि के नाम पर ही पीएडी की फर्जी डिग्री हासिल की।

एनसीटीई की आंखों में झोंकी धूल
सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े में बर्खास्त हुए उक्त अध्यापक ने एनसीटीई (नेशन काउंसिल फार टीचर एजूकेशन) की आंखों में धूल झोंकने के लिए इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। चूंकि कृण गोपाल को निजी बीएड कालेज में बतौर प्रिंसिपल अपनी योग्यता साबित करने के लिए उक्त प्रमाण पत्रों की आवश्यकता थी। बताया जा रहा है कि इस पूरे फर्जीवाड़े को संबंधित कालेज में ही अंजाम दिया जाता था। इस बिनह पर सीबीआई ने संचालक की गिरफ्तारी के साथ कालेज के खिलाफ भी चालान पेश किया है। सीबीआई शिमला प्रमुख आर उपासक का कहना है कि सीबीआई की जांच सही दिशा में चल रही है। उन्होंने और गिरफ्तारियों की संभावनाओं से इंकार नहीं किया है।

शिक्षा ही नहीं फौज में भी बंटे प्रमाण पत्र
सर्टिफिकेट का यह फर्जीवाड़ा महज शिक्षा विभाग तक ही सीमित नहीं है। पुख्ता सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना में ऐसे कई युवक इस नेटवर्क से जुड़कर भरती हुए हैं। जबकि कई निजी कंपनियों में भी लोगों ने इस फर्जीवाड़े का सहारा लिया है। हालांकि यह सब एक बड़ी जांच का विषय है। पहले यह जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी जबकि बाद में केस की संवेदनशीलता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पूरा मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया।

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