अस्पताल प्रबंधन की अपील खारिज

धर्मशाला। राज्य उपभोक्ता फोरम ने एक निजी अस्पताल की अपील को खारिज कर निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। फोरम ने अस्पताल प्रबंधन को उपभोक्ता को 72 हजार रुपए हर्जाना भरने का फैसला सुनाया है। उपभोक्ता के केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता विनय सोनी ने फैसले की जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि एसडीएम कार्यालय धर्मशाला में कार्यरत कर्मचारी बख्शी चंद कटोच की पत्नी जीवन लता 2011 में पठानकोट में एक वाहन दुर्घटना में घायल हो गई थी। उसे पठानकोट के एक निजी अस्पताल में लाया गया। अधिवक्ता ने बताया कि सरकारी कर्मचारी होने के कारण घायल महिला के पति ने अस्पताल प्रबंधन को मेडिकल भत्ते के बारे में बताया। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उनके अस्पताल की हिमाचल प्रदेश सरकार से एंपेनलमेंट है। इलाज के बाद मेडिकल भत्ता मिलेगा। इस पर घायल महिला का इस निजी अस्पताल में एक आपरेशन भी हुआ। उपचार के बाद महिला के पति ने एसडीएम कार्यालय में प्रस्तुत बिलों के आधार पर मेडिकल क्लेम के लिए आवेदन किया। लेकिन विभाग ने हिप्र सरकार के साथ निजी अस्पताल की एंपेनलमेंट न होने का तर्क देकर मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं किया। इस पर महिला के पति ने जिला उपभोक्ता फोरम में निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
जिला उपभोक्ता फोरम ने वर्ष 2012 में उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निजी अस्पताल को 57229 रुपए मेडिकल क्लेम, 10 हजार रुपए मुआवजा तथा पांच हजार रुपए न्यायिक भत्ते के भुगतान के आदेश दिए। लेकिन निजी अस्पताल प्रबंधन ने फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील कर दी। राज्य उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सुरजीत सिंह ने पक्ष और विपक्ष की दलीलें सुनने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले का बरकरार रखा है।

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