लाहौल-स्पीति में फंसे 55 छात्र-छात्राएं

दयपुर (लाहौल-स्पीति)। बर्फबारी किसी के लिए राहत भरी तो किसी के लिए आफत बनकर गिरती है। लाहौल-स्पीति जिले के बाहर अध्ययनरत पांच दर्जन छात्र-छात्राएं अवकाश पर अपने घर आए थे। अब वे भारी बर्फबारी के बीच जिले में ही फंस गए हैं। अब सरकार इन बच्चों पर मेहरबान हो जाए तो तभी ये समय पर अपने स्कूलों में पहुंच सकेंगे। इन बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। स्पीति घाटी के 12 बच्चे और लाहौल के 43 छात्र-छात्राएं घाटी में ही फंस गए हैं। स्पीति के चिच्चम और लोसर के 12 बच्चे भारी बर्फ के बीच करीब 55 किलोमीटर पैदल चलकर काजा इस उम्मीद को लेकर पहुंचे हैं कि काजा से चौपर की उड़ान भरी जाएगी। तभी ये बच्चे घाटी से बाहर निकल सकेंगे लेकिन इंतजार लंबा खिंच गया है। विद्यार्थी राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला में अध्ययनरत हैं। वहां पढ़ रहे छात्र चिच्चम निवासी अंगरूप बुटित और तंजिन ने बताया कि एक मार्च से उनके प्रैक्टिकल और परीक्षाएं शुरू हैं। अब वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। स्पीति घाटी से ताल्लुक रखने वाली पंचायत समिति अध्यक्ष तंजिन बुटित ने वहां फंसे स्कूली बच्चों के साथ मरीजों को तत्काल स्पीति घाटी से बाहर निकालने की मांग प्रदेश सरकार से की है।
लाहौल घाटी में फंसे छात्रों के परिजनों ने भी लाहौल के लिए नियमित उड़ान किए जाने की मांग सरकार से की है। एडीएम काजा हेमिस नेगी ने बताया कि इस तरह से काजा में कई स्कूली बच्चे फंसे हुए हैं जिन्हें शीघ्र घाटी से बाहर निकालने के लिए सरकार और जीएडी को अवगत करवा दिया गया है।

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