फिर उजड़ेंगे पौंग विस्थापित

जवाली (कांगड़ा)। …अपनी मिट्टी से उजड़ने का दर्द क्या होता है यह कोई पौंग डैम के उन विस्थापितों से पूछे जिन्हें एक बार फिर इस दौर से गुजरना होगा। पौंग जलाशय की खातिर घर से बेघर होकर वन भूमि पर अपने आशियाने बनाकर बसे लोगों को एक बार फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। वन विभाग की कार्रवाई पर अदालत ने मुहर लगा दी है। इसके तहत सैकड़ों पौंग विस्थापित परिवारों के अवैध कब्जे उखाड़े जाएंगे।
विस्थापितों को वन विभाग ने अवैध कब्जाधारक करार देते हुए नोटिस थमा दिए हैं। इसके चलते पौंग विस्थापितों में हड़कंप मच गया है। विस्थापितों का कहना है कि पौंग बांध बनने के समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के माध्यम से संदेश दिया था कि विस्थापितों को जहां कहीं खाली जमीन मिलती है, वहां पर बस जाएं। उक्तफरमान के चलते विस्थापित खाली जगहों पर बस गए। विस्थापितों का कहना है कि इसके बारे में दोनों ही प्रमुख पार्टियों को अवगत करवाया जाता रहा है। लेकिन सरकारों ने कोई भी दिलचस्पी इसमें नहीं दिखाई। किसी ने भी इस मुद्दे को जोरदार ढंग से नहीं उठाया। विस्थापितों का कहना है कि जब उन्होंने इंदिरा गंाधी के कहने पर कब्जा किया था, तब यह जमीन जिलाधीश के अधीन थी। लेकिन बाद में सरकार व प्रशासन ने इसे वन विभाग के अधीन कर दिया। विस्थापितों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर रिहायशी मकान बना रखे हैं। यदि ऐसे में मकानों को गिरवाया जाता है तो वे महंगाई के इस दौर में दोबारा मकान बनाने में असमर्थ होंगे। विस्थापित वन विभाग की भूमि पर किए गए कब्जों को गिराया जाना खुद के साथ अन्याय है। उन्होंने प्रदेश सरकार से इसमें हस्तक्षेप कर इस मुहिम को बंद करवाने की गुहार लगाई है।

हाईकोर्ट के आदेशों की होगी पालना
वन विभाग धर्मशाला सर्कल के कंजरवेटर अमिताभ गौतम ने बताया कि प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों की पालना होगी। पौंग विस्थापित जिन्होंने वन भूमि पर कब्जा किया है तथा कोर्ट का नोटिस आ चुका है, उनके कब्जे उखाड़े जाएंगे।

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