पैट शिक्षकों को दोबारा ट्रेनिंग पर भड़का पीटीएफ

नौहराधार (सिरमौर)। प्रदेशभर में कार्यरत लगभग साढ़े तीन हजार प्राथमिक सहायक अध्यापकों (पैट) को सरकार की ओर से दोबारा प्रशिक्षण लेने का फरमान का प्राथमिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है। संघ ने सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है और प्रदेश में 2003 से कार्यरत पैट अध्यापकों को शीघ्र ही नियमित करने की मांग की है। पीटीएफ के जिला अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने जारी बयान में कहा कि प्रदेश के शिक्षा कोड में 1998 में हुए संशोधन में प्रावधान रखा गया है कि पांच साल तक प्राथमिक पाठशालाओं में कार्य करने वाले अध्यापक जेबीटी प्रमाण पत्र के हकदार होंगे।
ठाकुर ने कहा कि पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके पैट को जब ट्रेंड अध्यापकों का वेतन दिया जा रहा है तो उनके अनट्रेंड होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मानव संसाधन मंत्रालय से आरटीई के संदर्भ में 22 अगस्त 2010 को एक अधिसूचना जारी हो चुकी थी और अधिसूचना जारी होने के बाद 16 अगस्त 2011 को ग्रामीण विद्या उपासकों को नियमित किया गया था। उन्होंने सवाल उठाया है कि अधिसूचना के बाद यदि ग्रामीण विद्या उपासक नियमित हो सकते हैं तो प्राथमिक सहायक अध्यापकों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है।
ठाकुर ने कहा कि पैट शिक्षकों पर आरटीई 2009 के नियम को लागू करना उचित नहीं है। पैट अध्यापकों का चयन 2003 की पॉलिसी के तहत एसडीएम की देखरेख में बनी समिति ने संवैधानिक एवं प्रशासनिक प्रक्रिया के अनुसार किया गया है। चयन के कुछ सालों के बाद सरकार ने पैट अध्यापकों से दो साल का प्रशिक्षण भी करवाया था जिस पर सरकार ने लगभग 450 करोड़ की राशि खर्च है। इसके बावजूद सरकार ने फिर से दो साल के प्रशिक्षण का फरमान जारी किया है और साथ ही आवेदन की फीस भी छह हजार कर दी है। सरकार के इस रवैये से तो ऐसा लग रहा है कि सरकार पैट शिक्षकों से प्रतिशोध लेना चाहती है। सरकार ने पैट शिक्षकों को नियमित करने का वायदा किया था मगर सरकार अब अपने वायदे से मुंह फेर रही है।

Related posts