पंकज से सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कटवाए गए कई चक्कर तभी व्यवस्था को बदलने की ठान ली बन गए आईएएस

पंकज से सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कटवाए गए कई चक्कर तभी व्यवस्था को बदलने की ठान ली बन गए आईएएस

रेवाड़ी (हरियाणा)
डॉ. पंकज ने तीसरे प्रयास में आईएएस बनने का सपना किया पूरा, आल इंडिया 56वीं रैंक
सरकारी स्कूल से पढ़ाई, फिर रोहतक से एमबीबीएस किया, अब बन गए आईएएस

रेवाड़ी के गांव टींट निवासी डॉ. पंकज यादव ने यूपीएससी की परीक्षा तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 56वीं रैंक हासिल की है। पंकज यादव को 2018 में 589वीं रैंक मिली थी और वह आईपीएस बने थे। वह वर्तमान में इंफाल में बतौर एएसपी तैनात हैं। आईएएस बनने के सवाल पर यादव ने बताया कि वर्ष 2007 में 12वीं कक्षा के बाद बीसीबी का सर्टिफिकेट बनवाना था। इसके लिए ग्राम सचिव, पटवारी व एसडीएम के साइन होने थे।

एक सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कई दिनों तक चक्कर कटवाए गए। बस तभी मन में ठान लिया था कि आईएएस बनकर इस व्यवस्था को बदलना है। उन्होंने सरकारी स्कूल से 12वीं पास करने के बाद 2016 में पीजीआई रोहतक से एमबीबीएस किया। अब वह आईएएस बनने में सफल हुए हैं।
सफलता पानी है तो आना होगा सोशल मीडिया की दुनिया से बाहर
डॉ. पंकज यादव ने बताया कि आज के दौर में लोग डिजिटल दुनिया में खोए हुए हैं। यदि सफलता पानी है तो इसको छोड़कर असल जिंदगी में सच्चे संबंधों को महत्व देना होगा, तभी सफलता पाई जा सकती है। डॉ. यादव ने बताया कि तैयारी तभी करें, तब खुद के मन में हो, किसी को देखकर ऐसा कतई न करें। एक बार यदि तैयारी में जुट गए तो कितने प्रयास हुए हैं, इस पर ध्यान देने की बजाय प्रत्येक दिन कम से 6-8 घंटे की पढ़ाई जरूर करें।

पहले प्रेरणा श्रोत हैं शिक्षक पिता
डॉ. पंकज यादव ने बताया कि उनकी सबसे पहली प्रेरण उनके शिक्षक पिता हैं। प्रिंसिपल पद से रिटायर्ड पिता अभय सिंह यादव ने लगातार उनका हौसला बढ़ाया। इसका परिणाम है कि उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। देश में किस अधिकारी की कार्यशैली से प्रेरित हैं, इसके जवाब में यादव ने कहा कि वह प्रदेश के डीजीपी मनोज यादव की कार्यशैली से प्रभावित हैं।

 

Related posts