कांग्रेस- भाजपा गुटबाजी में उलझी, भाजपा को भितरघात का डर भी लगा सताने

कांग्रेस- भाजपा गुटबाजी में उलझी, भाजपा को भितरघात का डर भी लगा सताने

राजनीति में न स्थाई दोस्ती न स्थाई दुश्मनी बस अपने हितो को साधने का मौका नेता लोग तलाश करते रहते है ।  ऐसा दौर शुरू है कि नेता पार्टी के बिना रह सकते है पर  कुर्सी के बिना नहीं रहना चाहते ।  इसलिए एक पार्टी छोड़ दूसरी में संभावना तलाशने कि आवाजाही लगी रहती है ।  चुनाव के दंगल में गुटबाजी के चलते कांग्रेस हरियाणा में अपने योद्धा मैदान में नहीं उतार पाई है, वहीं भाजपा के प्रत्याशी भी गुटबाजी के चलते उलझ गए हैं। आधी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को स्थानीय नेताओं और उनके समर्थकों के भितरघात की आशंका है।

हाईकमान को इसकी भनक लगने के बाद भाजपा नेतृत्व एक-दूसरे के प्रति नाराजगी दूर कराने की कोशिश में जुट गया है। दरअसल, भाजपा ने 10 में से पांच सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं।

अंबाला में सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद सहानुभूति के तौर पर उनकी पत्नी बंतो कटारिया को मैदान में उतारा गया है। इन छह सीटों पर ही अंदरखाने विरोध या फिर खुलकर साथ नहीं देने की आशंका है। भाजपा की ओर से कराए गए सर्वे में भी यह बात सामने आ रही है।

हालांकि, भाजपा के प्रवक्ता रहे सुदेश कटारिया का कहना है कि िभतरघात शब्द कांग्रेस का है और यह कांग्रेस में ही चलता है। भाजपा अनुशासित पार्टी है। पार्टी या किसी भी प्रत्याशी को भितरघात का खतरा नहीं है।

तंवर के साथ नहीं आ रहा कैडर
मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट कटने के बाद अशोक तंवर सिरसा से मैदान में हैं। तंवर का गांवों में विरोध हो रहा है। भाजपा के स्थानीय नेता उन्हें अपना नहीं पाए। एक तो उन पर दल बदलू का ठप्पा लगा है। दूसरा वह सिरसा से भी काफी समय से कटे हुए हैं।

बंतो से विज की नाराजगी

अंबाला से प्रत्याशी बंतो कटारिया के पति रतनलाल कटारिया व अंबाला कैंट से विधायक अनिल विज के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। हाल में अनिल विज नई सरकार में मंत्री बनने से इन्कार कर चुके हैं। वह संगठन की बैठकों से भी दूरी बनाए हुए हैं और केवल अपने ही हलके में जुटे हैं। वे सीएम की रैली में भी शामिल नहीं हुए।

चौटाला को नेताओं का साथ नहीं

ताऊ देवीलाल के बेटा और मनोहर लाल का विश्वासपात्र होने के चलते हिसार से रणजीत चौटाला को प्रत्याशी बनाया गया है। लेकिन भितरघात का सबसे अधिक खतरा इसी सीट पर है। भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु, कुलदीप बिश्नोई को साधना इनके लिए आसान नहीं है। बिश्नोई के बेटे विधायक भव्य हिसार से टिकट न मिलने पर सोशल मीडिया पर नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं। कैप्टन अभिमन्यु व गोपाल कांडा भी रणजीत के कार्यक्रमों में नहीं आ रहे हैं।

आसान नहीं कुरुक्षेत्र की महाभारत

भाजपा ने कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल को उतारा है। दस साल से कुरुक्षेत्र से जुड़ाव नहीं होने और भाजपा में नया होने के चलते उनके सामने कई चुनौतियां हैं। डीडी शर्मा, पूर्व विधायक पवन सैनी, पूर्व सांसद कैलाशों सैनी जैसे बड़े चेहरे साथ नजर नहीं आ रहे।

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