कुल्लू शॉल के उद्योगों को करोड़ों का नुकसान

कुल्लू

सांकेतिक तस्वीर
कोरोना वायरस से ठहरे जनजीवन से विश्व प्रसिद्ध कुल्लू के शॉल उद्योग को बड़ा झटका लगा है। लॉकडाउन से अभी तक भुट्टिको शॉल को करोड़ों का नुकसान आंका गया है। हालांकि, शॉल बनाने का कार्य जोरों पर है, लेकिन दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तराखंड के साथ अमेरिका व यूरोप की सप्लाई बाधित हुई है। ऐसे में कुल्लू जिले के शॉल व टोपी उद्योग पर संकट आ गया है।

ऐसे में इस उद्योग से जुड़े हजारों बुनकरों को भविष्य की चिंता सताने लगी है। अकेले भुट्टिको में करीब एक हजार कर्मचारियों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। जिला में 214 अन्य इकाइयां पंजीकृत हैं, जो शॉल बनाती हैं। इसमें जिले के करीब पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इनमें 90 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
भुट्टिको शॉल के मैनेजर रमेश ठाकुर ने कहा कि लॉकडाउन में बुनकर शॉल, टोपी, कुल्लवी पट्टू, जुराबें तथा मफलर आदि अन्य सामान को बनाने में जुटे हैं। खरीदारी व सप्लाई नहीं होने से स्टॉक बढ़ता ही जा रहा है। भुट्टिको का सामान अमेरिका और यूरोप के पांच से छह जगह जाता है, मगर सप्लाई बंद है। इससे लॉकडाउन में ढाई करोड़ का नुकसान हुआ है।
शॉल उत्पादक रंजीत सिंह, महिमा ठाकुर, शांता देवी, सुनीता तथा निर्मला ने कहा कि उन्होंने भी शॉलें तैयार की हैं, लेकिन बिक्री नहीं हो रही है। जिला कुल्लू की उद्योग महाप्रबंधक छिमे आंगमो ने कहा कि जिले में 215 ऐसी इकाइयां पंजीकृत हैं, जो शॉल का निर्माण करती हैं। इसमें करीब पांच हजार से अधिक लोगों का रोजगार जुड़ा है।

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