कांगड़ा के 94 गांव होंगे वन्य प्राणी क्षेत्र से मुक्त

धर्मशाला। शहरी विकास, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री सुधीर शर्मा ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कांगड़ा जिला के 94 गांवों को वन्य प्राणी क्षेत्र से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रदेश के आबादी से दूर वन्य प्राणी समृद्ध वन क्षेत्र को सम्मिलित किया जाएगा। इसके फलस्वरूप प्रदेश में वन्य प्राणी क्षेत्र 7161 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 8358 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में वन्य प्राणी क्षेत्र के अंतर्गत 33 वन्य प्राणी शरण्य स्थल तथा दो राष्ट्रीय उद्यान हैं। जबकि युक्तिकरण के उपरांत प्रदेश में 26 वन्य प्राणी शरण्य स्थल, 5 राष्ट्रीय उद्यान और 3 कंजरवेशन रिजर्व हो जाएंगे। अब इन गांवों का अन्य क्षेत्रों की भांति विकास सुनिश्चित होगा। 1999 में प्रदेश के 7161 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्य प्राणी क्षेत्र के अंतर्गत लाया गया था। इससे 793 गांवों में रहने वाले एक लाख लोग अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हो गए थे। इस अधिसूचना के अनुसार जिला कांगड़ा का 1372 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन्य प्राणी क्षेत्र के अधीन किया गया था। इस वजह से जिले के इस अधिसूचित वन्य प्राणी क्षेत्र में रहने वाले 99 गांवों के लोग प्रभावित हुए। इनमें से बैजनाथ क्षेत्र के 43 और पौंग के 51 गांवों को राहत मिली है।
सुधीर ने कहा कि वर्ष 2004-05 के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वन्य प्राणी क्षेत्र के युक्तिकरण की प्रक्रिया आरंभ की थी। प्रदेश सरकार के पुन: सत्ता संभालने पर इस महत्वपूर्ण मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करने के लिए प्रयास किए गए। पहली फरवरी को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए प्रदेश के 793 में से 775 गांवों को वन्य प्राणी क्षेत्र से मुक्त करने संबंधी अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए। इससे जिला कांगड़ा के 99 में से 94 गांवों को राहत मिली है।

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