
ऊना। विशेष न्यायाधीश (जिला एवं सत्र न्यायाधीश) अरविंद मल्होत्रा की अदालत ने चार साल पूर्व गगरेट क्षेत्र के लोहारली में रिश्वत लेने के आरोपी पटवारी को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत एक वर्ष का कठोर कारावास और 2 हजार रुपये जुर्माना जबकि 13(2) के तहत 1 वर्ष का कठोर कारावास भुगतने की सजा सुनाई गई। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जिला न्यायवादी एनसी घई ने बताया कि इस केस की पैरवी लोक अभियोजकों रामदेव चौधरी और आत्मा राम ने की। बताया कि 27 मई 2008 को रूप सिंह निवासी लोहरली ने अपने ही गांव में तैनात पटवारी वरिंद्र सिंह के खिलाफ विजिलेंस में शिकायत की थी कि जमीनी तकसीम के लिए उसने पांच हजार रुपये की मांग की है। जबकि तहसीलदार और कानूनगो की ओर से उक्त फाइल को मुकम्मल कर पटवारी के पास भेज दिया था। रूप सिंह ने अपनी पत्नी लज्जा देवी के नाम पर जमीन खरीदी थी, जिसकी तकसीम के लिए उन्होंने आवेदन कर रखा था। रूप सिंह की शिकायत पर विजिलेंस ने जाल बिछाकर पटवारी वरिंद्र सिंह को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया और उससे 5 हजार रुपये की नकदी भी बरामद कर ली गई। पटवारी के खिलाफ मामला दर्ज कर मामले की छानबीन आरंभ कर दी गई। जिला न्यायवादी एनसी घई ने बताया कि मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 17 गवाह पेश किए गए। उन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा की अदालत ने दोषी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत एक वर्ष का कठोर कारावास और 2 हजार रुपये जुर्माना जबकि 13(2) के तहत 1 वर्ष का कठोर कारावास भुगतने की सजा सुनाई गई। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जबकि जुर्माना अदा न करने की सूरत में उसे 3 माह का साधारण कारावास भुगतना पड़ेगा।