ग्रामीणों ने किया माश्का पुल जाम, आवाजाही ठप

बसोहली। जम्मू-कश्मीर को हिमाचल प्रदेश से सीधे जोड़ने वाले हिमाचल के खैरी और जम्मू-कश्मीर के माश्का को जोड़ने वाले पुल को स्थानीय ग्रामीणों ने जाम कर दिया। एनएचपीसी की विशाल पन-बिजली परियोजनाओं के बावजूद विकास के लिहाज से पिछडे़ होने से गुस्साए ग्रामीणों ने सामूहिक प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दे डाली है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेता, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। सुबह दस बजे से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देर शाम तक जारी रहा। माश्का पुल पर जाम लगे रहने से अंतर्राज्यीय आवाजाही पूरा दिन ठप रही। यहां तक कि एनएचपीसी के अधिकारियों को भी पगडंडियों के माध्यम से आवाजाही करनी पड़ी।
सुबह दस बजे से ही सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण एकत्रित होकर एनएचपीसी के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। माश्का पुल पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए हट्ट के सरपंच सुरिंदर सिंह समेत नायब सरपंच ज्ञान चंद, पंच जियालाल और देविंदर पाधा ने एनएचपीसी को जमकर कोसा। वक्ताओं ने कहा कि एनएचपीसी परियोजना क्षेत्र में पांच किलोमीटर के दायरे के तहत विकास कार्य करवाना होता है, लेकिन हट्ट माश्का इलाकों में पिछले कई वर्षों से कोई विकास नहीं करवाया गया है। विशालकाय परियोजनाएं चल रही हैं लेकिन स्थानीय ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हट्ट सड़क बेहद खस्ताहाल है। शारा से माश्का सड़क पर बरसात से पूर्व तारकोल बिछाया गया था, जो पूरी तरह से उखड़ चुका है। घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने की वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदर्शनकारियों में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि विकास परियोजनाओं में स्थानीय लोगाें को रोजगार दिया जाना चाहिए, लेकिन ज्यादातर श्रमिक हिमाचल प्रदेश से लाए जा रहे हैं। इसी तरह से पन बिजली परियोजनाएं जम्मू कश्मीर में हैं, लेकिन सीआईएसएफ की कालोनी की निर्माण हिमाचल प्रदेश के चमेरा इलाके में किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को सीधा सड़क संपर्क देने वाले पुल को तब तक नहीं खुलने देंगे, जब तक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आकर उन्हें ठोस आश्वासन नहीं देते। पहले दिन देर शाम तक किसी अधिकारी के न पहुंचने से गुस्साए ग्रामीणों ने अपने विरोध को बेमियादी आंदोलन घोषित कर दिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में भी बड़े स्तर पर आंदोलन किया गया था जिसमें बसोहली और बनी से भी लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था।

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