28 करोड़ में सिर्फ सात करोड़ ही खर्चे

रामपुर बुशहर। रामपुर में केंद्र की ओर से चलाई गई मनरेगा योजना पूरी तरह से हांफ रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2012-13 में मनरेगा योजना के तहत रामपुर के लिए 28 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। साल भर में योजना के तहत कुल सात करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं। आलम यह है कि विभिन्न लाइन विभागों के अधिकारी भी 14 करोड़ रुपये की राशि से मात्र 10 फीसदी धन भी खर्च नहीं कर पाए हैं।
रामपुर विकास खंड में विभिन्न पंचायतों से मनरेगा कार्य के लिए वर्ष 2012-13 में 28 करोड़ रुपये की शेल्फें तैयार की गई थीं। एक्ट के तहत ग्राम सभाओं और उप सभाओं के तहत तैयार की गई विभिन्न शेल्फों का ब्योरा केंद्रीय विकास मंत्रालय को भेजना पड़ता है। इसमें अग्रिम तौर पर ही मनरेगा कार्य के लिए धनराशि मंजूर होकर विकास खंडों को भेजी जाती है। इससे विकास खंड में योजना के तहत सार्वजनिक कार्यों के अलावा निजी क्षेत्र में भी कार्य किया जाना था। मनरेगा के तहत ग्रामीणों को अपने निजी कार्यों में भी धनराशि खर्च किए जाने का प्रावधान है। इसमें बंजर भूमि का विस्तार, वाटर हार्वेस्टिंग टेंक, रास्तों और गलियों का निर्माण, गौशाला निर्माण, भेड़-बकरियों के चरागाह विस्तार, चारा और घास सहित पशुधन को संवारने के लिए ग्रामीण शेल्फें तैयार कर सकते हैं। हैरत की बात है कि पंचायतों की ओर से पिछले वित्तीय वर्ष में शेल्फें तो तैयार की गई थीं लेकिन स्वीकृत राशि में से एक चौथाई हिस्सा भी खर्च नहीं हो पाया।
एसईबीपीओ रामपुर एलसी बिष्ट का कहना है कि मनरेगा के तहत लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए समय-समय पर शिविर लगाए जा रहे हैं। वर्ष 2013-14 में शत प्रतिशत धनराशि को खर्च करने का लक्ष्य रहेगा।

Related posts