2 किलोमीटर का सफर 2 घंटे में तय

सोलन। बाबा रामदेव सांय 3.10 पर सपरून चौक पहुंचे। जहां बाबा का इंतजार कर रहे सैकड़ों भक्तों ने बाबा का फूलों से और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि से स्वागत किया गया। बाबा के गाड़ी से उतरते ही वहां खडे़ लोगों की भीड़ उमड़ गई। सबसे पहले पंतजलि योग समिति के सदस्यों ने तिलक लगाकर स्वागत किया। इसके बाद वह आचार्य बाल कृष्ण सहित ओपन जीप में चढ़े। 3.20 से बाबा शक्ति प्रदर्शन रैली शुरू हो गई।
रैली का संबोधित करते हुए और दर्शकों को आशीर्वाद देते हुए बाबा की रैली धीरे-धीरे अपने गंतव्य स्थान के लिए अगरसर होती रही। इस बीच बाबा के साथ आए कार्यकर्ताओं ने ‘भारत माता की जय और बाबा तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे लगाए। इस तरह करीब 4.00 बजे के डीसी चौक पहुंचे। इस मौके पर इनके साथ पंतजलि योग समिति केंद्र प्रभारी राकेेश कुमार, जिला प्रभारी केआर वर्मा, लक्ष्मी दत्त शर्मा, नरेश गौतम, चिरंजवी, डा. विधि लाल, जय देव शर्मा, श्याम वर्मा, सलोचना ठाकुर सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।

डीसी चौक और बस अड्डे में दिया भाषण
डीसी चौक पर पहुंचने पर वहां मौजूद सैकड़ों लोगों ने बाबा का एक बार फिर से फूलों का स्वागत किया। उन्होंने अपने जन संबोधन में कहा कि ‘मैं प्रदेश कांग्रेस सरकार का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे प्रदेश में आने की अनुमति दी। वरना केंद्र में बैठी सोनिया सरकार ने तो हिमाचल के अंदर घुसने पर पाबंदी लगा दी है।’ इसी तरह बाबा की रैली ने सोलन माल रोड़ की तरफ बढे़। इस बीच उन्होंने कहा कि सोलन की लगभग पूरी जनता ही शहर ही पंहुच गई। इसके बाद उन्होंने आगे की ओर प्रस्थान किया। पुराने बस स्टैंड में बसों पर घरों से बाहर निक ली भीड़ को देखा और वहां कुछ देर रूके। जहां उन्होेंने लोगों से कुछ प्रश्न भी किए। उन्होंने कहा कि ‘क्या योग का काम होना चाहिए के नहीं, योग पीठ हिमाचल में बनना चाहिए या नहीं, और बन गया है तो उसका उद्घाटन होना चाहिए कि नहीं। जिस पर काफी संख्या मेें लोगों ने एकजुट होकर कहा कि साधुपुल में योग पीठ बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग पीठ बन चुके हैं 10 करोड़ खर्च किए गए हैं। हिमाचल और हिमाचल में रहने वाले लोगों के लिए पंतजलि योग का उद्देश्य हिमाचल की लोगों की सेवा करना है। दर्शकों की भीड़ में बाबा रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण सनातन धर्मसभा पंहुचे। जहां पहले बाबा का अनुयायी उनका इंतजार कर रहे थे।

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