हिमाचल में पित्त की पथरी के मरीज, 40 से 50 आयु वर्ग के सबसे अधिक, आखिर क्या है कारण ?

हिमाचल में  पित्त की पथरी के मरीज, 40 से 50 आयु वर्ग के सबसे अधिक,  आखिर क्या है कारण ?
हमीरपुर 

40 से 50 वर्ष की आयु वर्ग में सबसे ज्यादा पित्त की पथरी पाई जा रही है। डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में भी सप्ताह में चार से पांच ऑपरेशन पित्त की पथरी के किए जा रहे हैं।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

उत्तरी भारत में दक्षिण भारत के मुकाबले पित्त की पथरी के ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इसका कारण लोगों में बढ़ता मोटापा, काम न करना और आरामदायक जीवन व्यतीत करना है। लोग शारीरिक व्यायाम से दूर होते जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में भी पित्त की पथरी के मरीजों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। मैदानी क्षेत्रों के लोगों में पित्त की पथरी ज्यादा पाई जा रही है। यहां के लोग व्यायाम व अन्य शारीरिक कामों को ज्यादा नहीं करते।

वहीं, जंक फूड भी पित्त की पथरी का कारण बन रहा है। 40 से 50 वर्ष की आयु वर्ग में सबसे ज्यादा पित्त की पथरी पाई जा रही है। डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में भी सप्ताह में चार से पांच ऑपरेशन पित्त की पथरी के किए जा रहे हैं। पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों की संख्या इतनी बढ़ती जा रही है कि छह माह बाद ऑपरेशन की तारीख मिल रही है। 10 माह में ही 2,000 के करीब पित्त की पथरी के ऑपरेशन हमीरपुर अस्पताल के विशेषज्ञों ने कर दिए हैं। यही हाल प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी है।

लोगों को शारीरिक व्यायाम अधिक करना चाहिए
लोगों में मोटापा बढ़ता जा रहा है। अधिकतर लोग शारीरिक कार्य नहीं कर पाते, जिस कारण उन्हें ज्यादा पित्त की पथरी पाई जा रही है। जंक फूड खाने से भी यह पित्त की पथरी की समस्या बढ़ती जा रही है। लोगों को शारीरिक व्यायाम अधिक करना चाहिए। घर में पके साफ सुथरे भोजन का सेवन करना चाहिए। जितना हो सके मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें और मैदान आदि में जाकर अभ्यास करें। हमीरपुर अस्पताल में एक सप्ताह में पांच पित्त की पथरी के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। पूरी टीम के सहयोग से यह ऑपरेशन किए जाते हैं। – डॉ. लक्ष्मी अग्निहोत्री, सर्जन एचओडी, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर

उत्तरी भारत में दक्षिण भारत के मुकाबले ज्यादा पित्त की पथरी के मरीज मिल रहे हैं। लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वास्थ्यवर्द्धक वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। – डॉ. रमेश चौहान, वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर

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