हजारों बह गए बोतलों के बंद पानी में’

ऊना। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से ऊना में नशा निवारण कार्यशाला का आयोजन किया गया। अध्यक्षता एग्रो पैकेजिंग के पूर्व उपाध्यक्ष ओंकार शर्मा ने की। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक विनोद लखनपाल ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। ओंकार शर्मा ने कहा कि नशे का सेवन सामाजिक बुराई है और समाज से नशाखोरी को जड़ से मिटाने के लिए जनचेतना और जनसहभागिता अत्यंत जरूरी है। इस बुराई के खात्मे की शुरुआत हर व्यक्ति को खुद से करनी चाहिए, तभी दूसरों के सामने एक उदाहरण स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने चिंता जताई कि शराब और सिगरेट के अलावा समाज में कई नशे प्रचलित हो गए हैं। उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया कि बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के साथ वे अच्छे प्रेरणा स्रोत बनें। विनोद लखनपाल ने कहा कि ‘हजारों बह गए बोतलों के बंद पानी में, जो डूबे, फिर न उबरे पूरी जिंदगानी में’। विनोद लखनपाल ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि वर्तमान में शराब, गांजा, गुटखा, धूम्रपान तथा कोकीन, एलएसडी जैसे नशों के साथ दवाओं तथा अन्य पदार्थों के नशे के रूप में उपयोग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। विख्यात चिकित्सक डा केआर आर्य ने नशे के दुष्प्रभावों को इंगित करते हुए कहा कि इनसे अनेक प्राणघातक रोग होते हैं। नशा कैंसर, टीबी, लीवर खराब होना, उच्च रक्त चाप, श्वास तथा कार्डियोवेस्कु लर रोगों को जन्म देता है। नशे के दुष्प्रभाव धीरे-धीरे नजर आते हैं। हिमोत्कर्ष के अध्यक्ष कंवर हरि सिंह ने कहा कि पारिवारिक सहयोग और दृढ़ इच्छा शक्ति से ही आदमी नशों क ी लत से छुटकारा पा सकता है। राजेश शर्मा ने नशे के दुष्प्रभावों पर अपना प्रपत्र पढ़ते हुए आदमी के स्वास्थ्य पर नशे के सेवन से होने वाले कुप्रभावों का विस्तार से ब्योरा दिया। कहा कि क्षणिक सुख के लिए मादक द्रव्यों के सेवन का आदी होकर व्यक्ति स्वयं अपना नुकसान तो करता ही है, साथ ही उसका परिवार व समाज भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इस मौके पर डीपीआरओ गुरमीत बेदी, एपीआरओ राजकुमार, बिंदर भारद्वाज, सुरेंद्र शर्मा, ओपी धीमान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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