सैलरी बढ़ाने के विधेयक 10 मिनट में पारित

शिमला। हिमाचल विधानसभा में विधायक-मंत्रियों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के विधेयक महज दस मिनट में पारित हो गए। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मानसून सत्र के आखिरी दिन दोपहर 12 बजे एक-एक कर इससे जुड़े सभी पांच विधेयक सदन में रखे। 12:10 बजे तक सभी भी पारित हो गए। इससे पहले अप्रैल 2012 में माननीयों का वेतन बढ़ा था। करीब डेढ़ साल बाद दोबारा 60 फीसदी वेतन-भत्ते बढ़ गए।
सत्तापक्ष की ओर से पेश विधेयकों को पारित करने के लिए विपक्ष के भाजपा विधायकाें ने भी हां में हां मिलाई और टेबल थपथपाकर इसका स्वागत किया। सालाना 6 करोड़ के इस खर्चे पर फैसला लेने के लिए दो मिनट चर्चा तक नहीं हुई। विधानसभा इन विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज रही है। मंजूरी मिलने की तिथि से ही वेतन एवं भत्ते बढ़ जाएंगे। हालांकि, इन्हें पेश करने से पहले भी संविधान के अनुच्छेद 207 के तहत राज्यपाल की ओर से सिफारिश की गई थी। मुख्यमंत्री को अब 84 हजार के बजाय 1.50 लाख जबकि मंत्रियों को 81 हजार के बजाय 1.35 लाख रुपये मिलेंगे। सीपीएस का 1.30 लाख, विस अध्यक्ष का 1.35 लाख वेतन होगा। विधायकों का वेतन 75 हजार से 1.20 लाख बढ़ाया गया है।

इनसेट
वेतन बढ़ गया अब भूख कहां लगेगी?
शिमला। वेतन-भत्ते बढ़ने से कई विधायकों के चेहरे खिले हुए थे। पहली बार एमएलए बने कई सदस्य इस बात से और भी ज्यादा खुश थे कि अपना वेतन बढ़ाने का फैसला भी उनके खुद के ही हाथ में है। अंतिम दिन भोजनावकाश के लिए जब विधानसभा अध्यक्ष को ब्रेक लेने से कई सदस्यों ने मना किया तो बृज बिहारी लाल बुटेल ने भी कमेंट किया – वेतन बढ़ गया, अब भूख कहां लगेगी?

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