सेब के पौधों में नहीं लगेगा जड़ छेदक कीट

सोलन। सेब उगाने वाले बागवानों को अब जड़ छेदक सेब के पौधों में लगने वाले जड़छेदक कीट से छुटकारा मिलेगा। नौणी विवि के वैज्ञानिकोें ने एक शोेेध से इस कीट को खत्म करने का जैविक उपाय ढूंढ निकाला है। पौधों में कीट की रोकथाम के लिए ‘फ फूं द’ से बनी ‘मेटाराईजियम एनआईसोपली दवा का शोध किया है। इससे इस कीट को जड़ से खत्म किया जा सके गा। जलवायु में निरंतर हो रहे परिवर्तन और बढ़ते तापमान से सेब के पौधों में विशेषकर अर्धपर्वीय क्षेत्रों में लगने वाले इस कीट का प्रभाव देखा गया था। इससे सेब की पैदावार और गुणवत्ता में भी कमी आई है।
विवि कीट एवं मैग्न पालन विभाग के वैज्ञानिक डा. पीएल शर्मा और डा. ऊषा चौहान ने बताया कि पिछले दो वर्षों के शोध के दौरान इस कीट को खत्म करने का उपाय निकाला है। यह एक जैविक उपाय है। इससे सेब के पौधों पर कोई हानिकारक प्र्रभाव भी नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि कोटखाई, गुम्मा, ठियोग आदि अर्धपर्वीय क्षेत्रों में सेब के पौधों पर एक सर्वे के मुताबिक इस कीट की बीमारी को दर्ज किया गया। इस शोध के बाद रोहडू, चौपाल, कोटखाई सहित अन्य क्षेत्रों में इस दवाई के 80 प्रतिशत तक सफल प्रशिक्षण किया है।

लाइट ट्रेप का प्रयोग करें बागवान
सेब उत्पादक बागवान अपने बगीचों में लाइट ट्रेप सिस्टम का प्रयोग कर भी इस कीट से बच सकते हैं। डा. पीएल शर्मा ने बताया कि सीजन के दौरान बरसात के मौसम में इस जड़ छेदक कीट अधिक पौधों में लगते है। इसलिए बागवानों को अपने बगीचों में लाइट ट्रेप सिस्टम यूज कर भी इस कीट को खत्म कर सक ते हैं। जड़छेदक कीट रोशनी कि ओर अधिक आकर्षित होता हेै लाइट ट्रेप लगाने से कीट वहीं फंस जाएगा और बाहर नहीं आ पाएगा।

एक कीट को खत्म करने से 300 कीट खत्म
लाइट ट्रेप के प्रयोग से बागवान कीटों को पकड़ सकता है। वैज्ञानिकों मानना है कि इस प्रकिया से एक मादा किट भी पकड़ा जाता है तो इससे 300 कीट समाप्त हो जाते हैं। एक कीट एक समय में 300 अंडे देती है। जिससे कीटों की संख्या अधिक होती है। यदि एक जड़ छेदक कीट भी पौधे को लगता हेै तो वह ढाई साल तक पौधे की जड़ों को खाता रहता है और तीन साल बाद बाहर आता है। इससे सेब की पैदावार और गुणवत्ता समाप्त हो जाती है।

Related posts