सीसीए से लापरवाह हो रहे छात्र

शिमला। प्रदेश में सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीए ) और पुरानी वार्षिक परीक्षा प्रणाली में से कौन सी बेहतर, इस पर बहस छीड़ गई है। अब जबकि प्रदेश सरकार भी मान चुकी है कि सीसीए प्रणाली के लागू होने से छात्र लापरवाह हुए हैं और इससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही है। यही नहीं सरकार ने विधान सभा में कम से कम इस नई प्रणाली के साथ दोबारा से पांचवीं और आठवीं कक्षा में फिर से बोर्ड की परीक्षाएं करवाने के प्रस्ताव को पारित कर इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसके बाद यह एक चरचा का विषय भी बन चुका है। हालांकि सीसीए प्रणाली को भी कुछ जानकार और शिक्षाविद सही करार दे रहे हैं, मगर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अधिकतर विशेषज्ञों और विशेष तौर पर अभिभावकों का भी यह मानना है कि नई प्रणाली से छात्र पढ़ाई को लेकर लापरवाह हो गए हैं। उनके दिल से परीक्षा का भय समाप्त हो गया है, यही नहीं इससे शिक्षकों का अधिकतर समय छात्रों के सीसीए कार्ड तैयार करने में ही बीत रहा है। वहीं, दूसरी ओर कुछ यह भी कह रहे हैं कि इस नई प्रणाली में खोट नहीं है, बल्कि इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रदेश के स्कूल शिक्षक तैयार नहीं थे और इसके लिए पहले से तैयारियां किए जाने की जरूरत थी। इसे प्रभावी ढंग से लागू करने को अभिभावकों का जागरूक होना भी जरूरी है। इस मुद्दे पर कुछ विषय विशेषज्ञों और सेवानिवृत्त शिक्षकों से बात कर आम लोगों की सोच को सामने लाने का प्रयास किया गया।

सीसीए ग्रेडिंग सिस्टम को प्रदेश क्या देश भी तैयार नहीं
सीसीए (ग्रेडिंग) की प्रणाली के स्कूलों में लागू होने से छात्रों के साथ ही शिक्षक तक लापरवाह हो गए हैं, निश्चित तौर पर इससे शिक्षा का स्तर गिरा है, इससे छात्र में परीक्षा का भय समाप्त हो गया है, उसे मालूम है कि वह पास तो हो ही जाएगा। इसलिए पुरानी प्रणाली ही सही और व्यवहारिक थी।
-प्रताप सिंह चौहान, सेवानिवृत्त कालेज प्रधानाचार्य

छात्रों की छूट जाती है परीक्षा की आदत
छोटी कक्षाओं में परीक्षा की आदत को छुड़ाने के बाद आखिर आगे तो छात्रों को परीक्षा से गुजरना ही होता है। सीसीए ग्रेडिंग सिस्टम के साथ परीक्षाएं बेहद जरूरी हैं। सीसीए के तहत मिलने वाले ग्रेड से मेरिट का पता लगा पाना संभव नहीं होता, जबकि आगे मेरिट पर ही सब निर्भर होता है। छात्र फिर परीक्षा का सामना करता है।
-प्रो. आरडी शर्मा, सेवानिवृत्त डीन हिमाचल प्रदेश विवि

सीसीए में तत्काल कमियों को दूर करना संभव
एसएस से सालों से जुड़े रहने और सीसीए की समझ के मुताबिक यह छात्रों के शैक्षणिक स्तर को जानने और समय रहते उसमें सुधार करने में उपयोगी है। छात्रों की हर खूबी का आंकलन होता है। वहीं उसका सही मार्गदर्शन करना संभव होता है। छात्रों की नकल की प्रवृति कम हुई है, और छात्र परीक्षा के कारण होने वाले तनाव से मुक्त होता है।
-ओम प्रकाश शर्मा, सेवा निवृत्त प्रवक्ता हिंदी, एसएसए में सक्रिय रहे हैं

सीसीए के साथ परीक्षा भी जरूरी
अभी सीसीए ग्रेडिंग सिस्टम को लागू करने के लिए निजी और सरकारी स्कूल पूरी तरह से तैयार ही नहीं है, इसे प्रभावी ढंग से लागू करने को शिक्षक, अभिभावकों को भी तैयार होना होगा। स्कूलों में पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है। नई प्रणाली से कुछ छात्र लापरवाह हुए है। इसलिए सीसीए के साथ बोर्ड परीक्षाएं होना भी जरूरी है।
-कामना बैरी प्रधानाचार्य, डीएवी लक्कड़ बाजार स्कूल

प्रदेश सरकार का पंाचवीं और आठवीं में बोर्ड परीक्षा दोबारा शुरू करवाने का फैसला स्वागत योग्या है, निश्चित तौर पर यह फैसला लागू हुआ तो, इससे छात्रों को लाभ होगा और शिक्षा में गुणात्मक सुधार होगा।
शंकर लाल भारद्वाज, एसएमसी अध्यक्ष सीसे लालपानी स्कूल

पांचवी और आठवीं में बोर्ड की परीक्षा के सिस्टम को लागू करने से शिक्षा में गुणात्मक सुधार संभव होगा। सीसीए प्रणाली से छात्र लापरवाह हो गए है, परीक्षा का भय समाप्त हो गया, यही स्तर के गिरने का कारण है। इसलिए सरकार ने फैसला लिया है वह छात्र हित में है, यह स्वागत योग्य है।
प्रेम ओमटा, एसएमसी अध्यक्ष कन्या सीसे पोर्टमोर

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