सरकार के पास विजन नहीं, वरना सिंगापुर बन जाता उत्तराखंडः विजयवर्गीय

kailash vijayvargiya interviews
मार्च के महीने में कांग्रेस के नौ विधायकों से बगावत करवाकर उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को जाना जाता है।
हालांकि वे इस बगावत को मुकाम तक ले जाने में नाकाम साबित हुए, मगर फिर भी उनके पैंतरों ने हरीश रावत के पैरों तले जमीन खिसका दी थी। चुनाव नजदीक देख एक बार फिर वे उत्तराखंड में अपनी मौजूदगी दर्शा रहे हैं। अपने हालिया दौरे में उन्होंने ग्राउंड लेवल तक जाकर सत्ता तक पहुंचने के समीकरण समझे।

वे पूरी तरह निश्चिंत हैं कि अबकी बार उत्तराखंड में भाजपा सरकार सत्तासीन होगी। अमर उजाला के स्टेट ब्यूरो चीफ संजय त्रिपाठी ने खास मुलाकात के दौरान उनसे तमाम मुद्दों पर बात की।

पिछले मार्च में हुए राजनितिक घटनाक्रम, कांग्रेस का अल्पमत में आना, राष्ट्रपति शासन लागू होना, ये सब क्या था?
– पूरे घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका नकारात्मक रही। विधायकों की बगावत और विधानसभा अध्यक्ष को सदस्यता समाप्त करने के लिए पूरा वक्त देना इसका स्पष्ट उदाहरण है।

यह माना जाता है कि इस घटनाक्रम के सूत्रधार आप ही थे। कहां चूक हुई कि हरीश रावत भाजपा को आइना दिखाकर सत्तासीन हो गए।
– जो काम मुझे करना चाहिए था, वो मैंने कर दिया। यह नहीं पता था कि राज्यपाल हरीश रावत के साथ खड़े होंगे। उन्होंने अपनी मर्यादा का पालन ठीक से नहीं किया। राज्यपाल से हमने कभी अनड्यू एडवांटेज की अपेक्षा नहीं की, मगर किसी दल विशेष के साथ जुड़कर काम करना भी उचित नहीं है।

चुनाव में क्या रहने वाला है, कितनी सीटे मिलेंगी भाजपा को?
– दो तिहाई बहुमत के साथ भाजपा इस बार उत्तराखंड में सरकार बनाएगी। वर्तमान सरकार पर एंटी इनकन्बैंसी फैक्टर हावी है। उत्तराखंड की जनता हरीश रावत के भ्रष्टाचार से त्रस्त है। वे सरकार रूपी माफिया से निजात चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के एक आश्रम में तीन साल तपस्या की है। उन्हें यहां की धरती का ऋण चुकाना है।

आज तक उत्तराखंड में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, क्या ये मिथक इस बार टूटेगा?
– यह चुनाव अपने आप में खास होगा। जो कभी नहीं हुआ, वह इस बार होगा। भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी। इसके लिए हमारी तैयारियां पूरी हैं।

जब इतना आत्मविश्वास है तो भाजपा चेहरा घोषित करने से क्यों डर रही है?
– चेहरा घोषित करना जीत की गारंटी नहीं है। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी विचारधारा वाली पार्टी है। हमने हरियाणा और महाराष्ट्र समेत अन्य प्रदेशों में बिना चेहरे के जीत पाई है। वहां हमारी सरकारें बेहतर कार्य भी कर रही हैं। हमारे यहां मुख्यमंत्री का चयन संगठन करता है।

साधारणतया कार्यकर्ताओं के तर्कों और विचारों से ही चल रही है पार्टी

आप तीन दिन से देहरादून में थे, क्या फीड बैक लेकर लौट रहे है?
– राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सभी महामंत्रियों को तीन-तीन दिनों के दौरे पर भेजा है। मैं यूपी और नगर हवेली के अलावा उत्तराखंड में संगठन का काम देख रहा हूं। इन तीन दिनों में मैंने पोलिंग बूथ, मंडल, जिले, प्रदेश पदाधिकारियों, मोर्चा और प्रकल्प के साथ तमाम बैठकें की। सभी जगह से यही फीडबैक है, लोग हरीश रावत की भ्रष्ट सरकार के बजाए बीजेपी को पसंद कर रहे हैं। यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि केंद्र से मिलने वाले सहयोग को यहां उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मौजूदा सरकार के पास विजन ही नहीं है, वरना यह प्रदेश सिंगापुर बन जाता। शराब, खनन और वन माफिया की गोद में बैठी कांग्रेस सरकार अब पतन की ओर है। उत्तराखंड का हक नरेंद्र मोदी इस प्रदेश को आइडियल बनाकर देंगे।

प्रत्याशी चयन में क्या फॉर्मूला होगा? निष्ठावान कार्यकर्ता या टिकाऊ और जिताऊ, फिर चाहें वह बाहरी ही क्यों न हो?
– पार्टी साधारणतया कार्यकर्ताओं के तर्कों और विचारों से ही चल रही है। हां, प्रत्याशी का चयन उसके जीतने की क्षमता को ध्यान में रखकर भी किया जाएगा। बहुत सारे लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं। मगर हम किसी को भी टिकट देने की गारंटी पर शामिल नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस यह मान चुकी है कि वह सरकार में वापस नहीं आ रही है। उनके कई बड़े नाम हमारे साथ जल्द आने की तैयारी में हैं।

कुछ वर्तमान और पूर्व ब्यूरोक्रेट भी भाजपा का साथ देने की तैयारी में हैं?
– भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी मौजूदा सरकार में लगने वाले हरदा टैक्स और रंजीत रावत टैक्स से बड़ी संख्या में वर्तमान और पूर्व ब्यूरोक्रेट दुखी हैं। ऐसे में वे सरकार के घपले-घोटालों के पूरे प्रमाण हमें दे रहे हैं। हम इन्हें समय आने पर सार्वजनिक भी करेंगे।

हरक सिंह रावत से कोई नाराजगी है क्या, वे चुनाव न लड़ने की बात भी कह रहे हैं?
– हरक सिंह रावत काफी वरिष्ठ और अच्छे नेता हैं। उन्होंने अब तक हमसे टिकट के संबंध में कोई चर्चा नहीं की है। अगर वे टिकट मांगेंगे तो हम जरूर इस पर विचार करेंगे। उनसे किसी प्रकार की नाराजगी का सवाल ही नहीं पैदा होता।

प्रदेश संगठन पर मित्र विपक्ष होने के आरोप लगते रहते हैं?
– यह प्रचार कांग्रेस वाले अपने स्वार्थ में फैलाते रहते हैं। वे जानबूझकर मीडिया में इस बात का प्रचार-प्रसार करवाते हैं, जिससे संगठन पर अविश्वास पैदा हो। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने रावत सरकार के भ्रष्टाचार पर हमेशा तीखा प्रहार किया है। संगठन के माध्यम से भी उन्होंने सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया है।

एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत अजय भट्ट पर लागू नहीं होता क्या?
– ऐसा नहीं है। अजय भट्ट ने दोनों ही पदों पर बेहतर काम किया है। मगर फिलहाल अब चुनाव में वक्त नहीं बचा है। उधर विधानसभा सत्र भी अब नहीं होता नजर आ रहा है, ऐसे में अजय भट्ट के पास संगठन का ही कामकाज है।

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