गंगोत्री क्षेत्र के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान में भी यह व्यवस्था कर दी गई है। जोनल मास्टर प्लान शासन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
इस क्षेत्र में इको टूरिज्म की कार्ययोजना तो बनेगी, लेकिन इसमें पर्यावरण, ग्लेशियर और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के मामले में कोई ढील नहीं दी जाएगी। सख्ती से यह पाबंदी लगा दी गई है कि धरोहर के चारों तरफ सौ मीटर के क्षेत्र में विकास संबंधी कोई गतिविधि नहीं होगी।
इसमें सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। गंगोत्री ग्लेशियर को प्रदूषण से बचाने के लिए इसके मुहाने से होकर गुजरने वाले तपोवन मार्ग का विकल्प सुझाया गया है। भागीरथी पर पुल बनाकर भोजवासा से तपोवन मार्ग खोलने के लिए कहा गया है। भागीरथी पर पुल पहले से स्वीकृत है।
गंगोत्री क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण के लिए जोनल मास्टर प्लान में पूरी व्यवस्था कर दी गई है। इसके साथ ही संबंधित विभागों को कार्ययोजना पर अमल करने के लिए कहा गया है।
– जयराज, प्रमुख वन संरक्षक (परियोजनाएं)
गोमुख से होकर जाने वाले तपोवन मार्ग का भोजावास से बेहतर विकल्प रहेगा। भागीरथी पर पुल पहले से स्वीकृत है। यह बन जाए तो नया मार्ग चालू हो सकता है।
– डॉ. समीर तिवारी, गंगोत्री प्रभारी, वाडिया हिमालय भूगर्भ संस्थान