इस मामले में न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी करते हुए महाराष्ट्र के एसआर बोम्मई केस का उदाहरण देते हुए कहा कि हर मामले को सीबीआई को नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री डोरजी के खिलाफ 1974 में भ्रष्टाचार के मामले को भी उदाहरण के तौर पर पेश किया।
उन्होंने केरल में चंद्रशेखर बनाम राज्य सरकार में भी राज्य पुलिस ने कहा था कि वह भी गोपनीय जांच कर सकती है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत स्टिंग का केस सिक्किम व केरल के केस से अलग है। समाज परिवर्तन समुदाय के मामले में बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें साफ है कि किसी भी जांच को शुरू करने से पहले एफआईआर दर्ज करना जरूरी है। बिना एफआईआर दर्ज किए सीबीआई जांच कराने की संस्तुति नहीं की जा सकती।