सरकार के पास क्या 55 हजार भी नहीं!

शिमला। क्या हिमाचल सरकार और शिक्षा विभाग के पास 55 हजार रुपये भी नहीं। राज्य स्तरीय एनसीसी कैंप न होने से यह सवाल खड़ा हो रहा है। बजट की कमी से एनसीसी के कई कैडेट राज्य स्तरीय गणतंत्र समारोह में हिस्सा लेने से चूक गए हैं। सरकारी तंत्र की उदासीनता का खामियाजा इन्हें सीधे तौर पर भुगतना पड़ा है। सवाल है कि यदि केंद्र ने बजट नहीं दिया तो क्या राज्य सरकार अपनी प्रतिभाओं के लिए 55 हजार रुपये भी खर्च नहीं कर सकती थी। शिक्षा विभाग ने दो टूक कह दिया है कि केंद्र से बजट नहीं मिला।
राज्य स्तरीय एनसीसी शिविर के लिए केंद्र ने अपना 75 फीसदी हिस्सा नहीं भेजा। राज्य सरकार की ओर से भी पैसे का इंतजाम करने के लिए कोई पहल नहीं की गई। केवल 55 हजार पर बात अटक गई। कैडेटों में इसको लेकर रोष है। इनका कहना है कि प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग चाहता तो शिविर के लिए इतने बजट का इंतजाम अपने स्तर पर भी कर सकता था। ऐसा हुआ नहीं और उनके हाथ से स्टेट आरडी कैंप में हिस्सा लेने का मौका जाता रहा। कैडेट शिक्षा विभाग और केंद्र दोनों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। घणाहट्टी के दसवीं कक्षा के कैडेट रमन ठाकुर, आईटीआई शिमला के कैडेट पंकज ठाकुर और डिग्री कॉलेज करसोग के कैडेट मोहर सिंह और रीना ठाकुर ने स्टेट कैंप न करवाने पर कहा कि वे बेसब्री से राज्य स्तरीय समारोह में हिस्सा लेने का इंतजार कर रहे थे, मगर वह पूरा नहीं हो सका। केंद्र से यदि पैसा नहीं आया था तो, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन अपने स्तर भी कैंप के लिए बजट की व्यवस्था कर सकता था।

यह पहला मौका होगा, जब बजट न मिलने के कारण एनसीसी की टुकड़ी राज्य स्तरीय गणतंत्र समारोह की परेड में हिस्सा नहीं लेगी।

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