शहादत पर बोली पत्नी, अब बेटा करेगा मुल्क की हिफाजत

सुबह शहादत का पैगाम आया। ग्रामीणों की आंखों से आंसुओं का समंदर उमड़ पड़ा। लबों पर लफ्ज नहीं थे, लेकिन शेरनगर के शेर हेमराज की शहादत पर हर किसी का सीना फख्र से चौड़ा था। सौ से अधिक महिलाओं से घिरी हेमराज की पत्नी धर्मवती की आंखें भी पथरा गईं थी, लेकिन जब उनसे पूछा कि बेटा क्या करेगा तो ठिठकीं फिर बोलीं, सीमा पर जाएगा और देश की रक्षा करेगा।

हेमराज की पत्नी धर्मवती का सुहाग उजड़ चुका था और सुबह से बरसती आंखें अब सूख चुकी थीं। पथराई आंखों संग वह निरंतर बिलख रही थीं। संदेशा कब आया के सवाल पर वह बोलीं कि सुबह सात बजे ही सुहाग उजड़ने की खबर आई। अपनी दो बेटियों और एक बेटे का नाम पुकारती हुई बोलीं कि अब इनका क्या होगा। फिर संभलती हैं और शून्य में निहारने के बाद ठिठकीं फिर बोलीं कि मेरा लाल प्रिंस अब सेना में जाएगा…, अभी सात साल का है बड़ा होकर जरूर जाएगा। अब वही दुश्मनों को सबक सिखाएगा।

भीड़ से अलग मां का लाड़ला
प्रिंस अभी सात साल का है। क्या हुआ, कैसे हुआ..इससे बेखबर है। बस वह भीड़ से अलग खड़े होकर स्तब्ध सा अपनी रोती हुई मां और दादी को देख रहा है। नाम पूछा तो स्कूल का नाम और कक्षा दोनों बता दिया। दुनिया के छलकपट, पाक की नापाक हरकत से नावाकिफ प्रिंस की अपनी दुनिया है। बस वह सबसे यही पूछता रहता है कि क्या हो रहा है।

लूट लियो रावन…
शहीद हेमराज के परिवार से जुड़ी 60 बरस की रामवती की आंखें भीगीं हैं। अपने आप बोल रही हैं, अरे रावन तो लूट लियो…। लूट लियो रावन…। हेमराज के साथ दुश्मनों के सलूक से उन्हें अचरज है और नफरत भी। 55 साल की मायावती भी शहादत पर रो रहीं हैं और उन्हें पाकिस्तान शब्द से ही नफरत हो गई है

हर मां का लाल हो ऐसा
हेमराज की मां मीना देवी का कहना है कि उसे अपने लाल हेमराज पर गर्व है। हर मां का एक ऐसा लाल हो, जो देश पर शहीद हो सके। पाकिस्तानी सेना की बर्बरता की कहानी कोई नई नहीं है। पहले भी कारगिल में उसने अपनी कायरता दिखाई। पहले हुई घटनाओं पर भारत सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए पाक सेना का फिर ऐसा दुस्साहस हुआ।

ईंट का जवाब पत्‍थर से दो
मुल्क की हिफाजत का गजब जज्बा शेरनगर में है, तभी तो यहां के वीरनारायन, रामबाबू, बाबूलाल, ध्यानपाल, रामवीर सहित आठ जवान अभी सेना में हैं। इसके अलावा कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें शहीद हेमराज के दो चाचा भी शामिल हैं। हेमराज को सेना में भर्ती होने की प्रेरणा उनके चाचा सूबेदार कल्याण सिंह और हवलदार लेखराज सिंह से मिली। हेमराज के साथ जो बर्ताव पाक सैनिकों ने किया है उससे उनके चाचा लेखराज बेहद खफा हैं। उन्होंने साफ कहा कि ईंट का जवाब अब पत्थर से देना होगा, तभी शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

गांव में बनेगा स्मारक
बुधवार शाम छह बजे तक करीब एक हजार से अधिक लोग शहीद के घर पहुंचकर देशप्रेम के जज्बे को शिखर का स्पर्श करा रहे थे। घर से दस किमी पहले ही शहीद की चर्चा हर गली, नुक्कड़ पर होती मिली। हुजूम का हुजूम शेरनगर की ओर बढ़ जा रहा था। शहीद हेमराज के घर से कुछ दूर पहले ही दो-तीन ट्रैक्टर और जेसीबी चल रही हैं। जमीन को समतल किया जा रहा है। यहां दोपहर से बैठे पड़ोस के गांव रूप नगर के सुरेश कहते हैं कि यहीं अंतिम संस्कार होगा। और इस स्थान को इसलिए चुना गया ताकि स्मारक आदि बन सके।

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