वन्य प्राणी क्षेत्र से बाहर होंगे 775 गांव

चंबा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से युक्तिकरण प्रस्ताव को स्वीकृति देने के बाद प्रदेश में 26 वन्य प्राणी शरण स्थल, पांच राष्ट्रीय उद्यान और तीन कंजरवेशन रिजर्व हो जाएंगे। इसके अलावा वन्य प्राणी क्षेत्रों के तहत आने वाले 793 गांवों में से 775 गांव बाहर हो जाएंगे। इससे एक लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। यह बात वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने चंबा-भरमौर प्रवास के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 33 वन्य प्राणी शरण स्थल और दो राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनका कुल अधिसूचित क्षेत्र 7160.75 वर्ग किलोमीटर है। उन्होंने कहा कि युक्तिकरण प्रक्रिया से वन्य प्राणी क्षेत्र 7160.75 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 8358.48 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिसूचित वन्य प्राणी क्षेत्रों के तहत रह रहे और हक हकूकों से वंचित लोगों को राहत पहुंचानेे के लिए कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2004-05 में वन्य प्राणी क्षेत्रों की सीमाओं के युक्तिकरण की प्रक्रिया आरंभ की थी। उन्होंने कहा कि युक्तिकरण प्रक्रिया के तहत एक विस्तृत प्रस्ताव पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दोबारा सत्ता में आते ही इस मामले की पैरवी सर्वोच्च न्यायालय में शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की प्रार्थना के मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय के फोरेस्ट बैंच ने पहली फरवरी 2013 को सुनवाई की। इसके बाद वन्य प्राणी आबादी वाले क्षेत्रों को बाहर और सम्मिलित किए जाने वाले वन क्षेत्रों की अंतिम अधिसूचना जारी करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। वन मंत्री ने बताया कि सरकार शीघ्र ही अंतिम अधिसूचनाएं जारी करने की प्रक्रिया आरंभ कर देगी। उन्होंने अधिसूचना जारी करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है।

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