लागत कम और पैदावार होगी ज्यादा

बद्दी (सोलन)। नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन के तहत नालागढ़ उपमंडल के सैकड़ों किसानों को गेहूं की उन्नत पद्धति से अवगत कराया गया। विभाग किसानों के खेतों में डेमोंस्ट्रेशन प्लांट (कृषि प्रदर्शनी) लगाकर लोगों की इस पद्धति से रूबरू कर रहा है। इस नई पद्धति से गेहूं की बिजाई का कार्य फीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल से होगा। जिसमें बीज के साथ खाद भी साथ ही जमीन के अंदर जाएगी। इससे जहां पैदावार में इजाफा होगा वहीं किसानों की उत्पादन लागत भी कम आएगी।
कृषि विभाग ने जिले के नालागढ़ उपमंडल में सबसे ज्यादा 400 हेक्टेयर पर कृषि प्रदर्शनी लगाएगा। एक किसानों की पांच बीघा से लेकर एक हेक्टेयर तक जमीन इसमें कवर किया जाएगा। कई किसानों की एक साथ इकट्ठी जमीन पर करीब दस हेक्टेयर में कलस्टर के रूप में डेमोस्ट्रेशन प्लाट बना कर लगाए गए हैं। जिन किसानों के खेत में यह प्रदर्शनी नहीं लगी है वह भी देख कर इस तकनीक को अपना सकते हैं।
नालागढ़ उपमंडल में पहली बार इस पद्धति के आधार पर गेहूं की बिजाई की जा रही है। इस योजना के तहत नालागढ़ उपमंडल में 20 लाख रुपये व्यय करके करीब दो से ढाई हजार तक किसानों की इसका लाभ दिया जाएगा। अभी तक विभाग ने 350 हेक्टेयर पर कृषि प्रदर्शनी लगा दी है। एक सप्ताह के भीतर टारगेट पूरा कर लिया जाएगा। कृषि विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डा. हंसराज मेहता ने बताया कि इस योजना के तहत अभी तक एक हेक्टेयर जमीन पर करीब पांच हजार रुपये खर्चा किया जाएगा। जिसमें गेहूं, पौध संरक्षण दवाइयां, खाद और बिजाई का खर्चा आदि शामिल है। नई तकनीक के तहत लाइनों में गेहूं की बिजाई होगी। इससे जहां बीज कम लगेगा वहीं लाइनों में गेहूं होने से उसकी गुड़ाई, निलाई, कीटनाशक दवाई और खाद आदि डालने में भी सहूलियत होगी। आम तौर पर एक बीघा में 10 से 12 किलो बीज लगता था लेकिन इस पद्धति के तहत मात्र आठ किलो ही बीज लगेगा और पैदावार पहले से अधिक होगी।

Related posts

Leave a Comment