राज्य से बहार रह रहे हिमाचल के स्थाई निवासियों को नहीं मिलेगा एमबीबीएस कोटे में सीट : राजीव सहजल

राज्य से बहार रह रहे हिमाचल के स्थाई निवासियों को नहीं मिलेगा एमबीबीएस कोटे में सीट : राजीव सहजल

शिमला
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने बताया कि ऐसा करने से प्रदेश में पढ़ रहे छात्रों के हितों पर विपरीत असर पड़ेगा। सरकार ने प्रदेश से आठवीं, दसवीं, जमा एक और जमा दो कक्षा में से कोई भी कक्षाओं की पढ़ाई पूरी करने वालों के लिए 85 फीसदी राज्य कोटा तय किया है।
स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल

हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी जो बाहरी राज्यों में रह रहे हैं, उनके बच्चों को एमबीबीएस और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए राज्य कोटे का लाभ देने का सरकार का कोई विचार नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने बताया कि ऐसा करने से प्रदेश में पढ़ रहे छात्रों के हितों पर विपरीत असर पड़ेगा। सरकार ने प्रदेश से आठवीं, दसवीं, जमा एक और जमा दो कक्षा में से कोई भी कक्षाओं की पढ़ाई पूरी करने वालों के लिए 85 फीसदी राज्य कोटा तय किया है। अन्य छात्र 15 फीसदी के अखिल भारतीय कोटे के तहत आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्थायी निवासी जो रोजगार या कारोबार के लिए बाहरी राज्यों में रह रहे हैं, उनके बच्चों को उस राज्य का कोटा भी मिल रहा है। ऐसे में प्रदेश का कोटा नहीं दिया जा सकता। मंत्री ने कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों और सेना से संबंधित परिवारों के बच्चों को 85 फीसदी का राज्य कोटा दिया जाता है। हाईकोर्ट में भी यह मामला गया था। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

बजरी, रेत व अन्य सामग्री के लिए नहीं हटेगी एम फार्म की शर्त
बजरी, रेत व अन्य सामग्री के लिए एम फार्म की शर्त हटाने का सरकार का कोई विचार नहीं है। विधायक लखविंद्र सिंह राणा, होशियार सिंह और आशीष बुटेल की ओर से पूछे सवाल पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लिखित में यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकारी ठेकेदारों से वसूले जा रहे जीएसटी को 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी नहीं किया गया है। लोक निर्माण विभाग की ओर से वर्ष 2020 में केंद्रीय लोक निर्माण मैनुअल 2019 और जनरल कंडीशन फॉर कांट्रेक्ट को अपनाया गया है। इसके अनुसार यदि कोई ठेकेदार संभावित निविदा राशि से 30 फीसदी कम रेट पर निविदा भरता है तो उसे निरस्त कर दिया जाता है। दोबारा से निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं।

नए जिले बनाने के लिए सरकार के पास आ रहे प्रतिवेदन, पर नहीं बनेंगे : जयराम
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से सदन के पटल पर दिए लिखित जवाब में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में नए जिले नहीं बनेंगे। उन्होंने बताया है कि सरकार के पास नए जिले बनाने के लिए समय-समय पर विभिन्न स्रोतों से प्रतिवेदन मिल रहे हैं। सरकार नए जिले नहीं बना रही है। इस दृष्टि से जिला पुनर्गठन आयोग बनाने का भी प्रश्न ही पैदा नहीं होता है। यह जवाब सदन के पटल पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और डलहौजी से कांग्रेस विधायक आशा कुमारी के संयुक्त सवाल पर दिया गया है।
सीमेंट प्लांटों के माहवार वायु गुणवत्ता मानक निर्धारित न होने पर एतराज
सीमेंट प्लांटों के माहवार राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक निर्धारित न होने पर कांग्रेस विधायकों संजय अवस्थी और रामलाल ठाकुर ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान एतराज जताया। विधायकों ने अंबुजा और अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांटों से फैल रहे प्रदूषण का मामला सदन में उठाया।अवस्थी ने कहा कि अर्की विधानसभा क्षेत्र में लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। दाड़लाघाट के आसपास के क्षेत्रों में सांस की बीमारी से लोग ग्रस्त हैं। फेफडे़ खराब हो रहे हैं। फसलों को भी नुकसान हो रहा है। सरकार की ओर से दिए गए लिखित जवाब में मात्र औपचारिकता निभाई गई है। मौके पर मानकों का पालन नहीं हो रहा है।

विधायक रामलाल ठाकुर ने सीमेंट उद्योगों के प्रदूषण का बिलासपुर जिला के कई क्षेत्रों में प्रभाव पड़ने का मामला उठाया। जवाब में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सीमेंट प्लांट के लिए माहवार राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक निर्धारित नहीं हैं। राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक 2009 की अधिसूचना के अनुसार केवल आठ घंटे के आधार पर दैनिक एवं वार्षिक मापदंड निर्धारित हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अंबुजा सीमेंट और अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट की लगातार मानीटरिंग कर रहा है। अनियमितताएं पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। प्रदूषण के आकलन के लिए अंबुजा के दो सीमेंट प्लांटों के आसपास 54 और 29 आवश्यक उपकरण लगाए गए हैं। अल्ट्राटेक के पास 71 उपकरण लगाए गए हैं। अल्ट्राटेक के कुछ सैंपल मापदंड पर पूरे नहीं उतरे थे। इन्हें नोटिस जारी किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी इनकी मानीटरिंग करता है। कोर्ट के आदेशों पर प्रदूषण को जांचने के लिए कई अध्ययन भी किए गए हैं।

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