मुफ्त इलाज पर सिस्टम की मार

सोलन। इसे बदहाल सिस्टम नहीं तो और क्या कहें। एक ओर सरकार मातृत्व सुरक्षा योजना के हवाले ढोल पीटकर कहती है कि गर्भवती महिलाओं का निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन असल हालात यह हैं कि सरकारी अस्पताल में निशुल्क इलाज के नाम पर गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार के साथ छलावा किया जा रहा है। चिकित्सकीय परामर्श और अस्पताल में उपलब्ध जांच तो मुफ्त होती हैं, लेकिन जब बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं तो दर्द बढ़ जाता है।
रोगियों का कहना है कि मुफ्त दवाएं न देकर तीमारदारों को प्रसव के दौरान पर्ची थमाकर निजी केमिस्ट की दुकानों से दवाएं लाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसा रोजाना कई रोगियों और तीमारदारों के साथ हो रहा है। जब चिकित्सकों से इस बात की शिकायत की जाती है तो वह अस्पताल में दवाइयां उपलब्ध न होने की दुहाई देते हैं।
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यह है मातृत्व सुरक्षा योजना
मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक पूरा इलाज सरकार की ओर से निशुल्क कराया जाता है। इसमें नियमित परीक्षण, जरूरी अल्ट्रासाउंड, ब्लड और यूरिन टेस्ट के साथ अन्य आवश्यक जांचें शामिल हैं। महिला अस्पताल तक लाने और घर छोड़ने की निशुल्क सवारी उपलब्ध कराई जाती है। अस्पताल प्रशासन की ओर से ही पूरी दवाएं और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाता है। इसके अतिरिक्त एक वर्ष तक के बच्चों के लिए भी इलाज की निशुल्क व्यवस्था है।
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आयरन, कैल्शियम भी नसीब नहीं!
सोलन। अमर उजाला से बातचीत के दौरान कुछ महिलाओं का कहना था कि प्रसव से पहले और जांच के दौरान उन्हें आयरन और कैल्शियम जैसी दवा भी नहीं दी गई। यह भी उन्हें बाहर से महंगी दरों पर खरीदनी पड़ी। जबकि आयरन और कैल्शियम दवा गर्भवती महिलाओं को हर हाल में निशुल्क रुप ये वितरित करने की व्यवस्था है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्भवती महिलाओं को निशुल्क सुविधा का कितना फायदा मिल रहा है।

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कुछ जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं : एमएस
चिकित्सा अधीक्षक डा. यशवंत वर्मा ने माना कि जरूरी दवाएं खत्म होने पर चिकित्सक उसे बाहर के लिए लिख देते हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में मौजूद दवाओं को यहीं से दिया जाता है। दवाएं मंगवाई जा रही हैं।

केस स्टडी-
केस 01- संदीप कुमार ने बताया कि प्रसव से पहले नर्सों ने उन्हें दवाओं की लिस्ट थमा दी। वह निजी मेडिकल स्टोर से करीब 450 रुपये की दवाएं खरीद कर लाए। अस्पताल से उन्हें कोई भी दवा नहीं दी गई।

केस 02- सिरमौर के राजगढ़ से प्रसव करवाने पहुंची महिला रीना देवी ने बताया कि प्रसव से पहले उन्हें भी अस्पताल से कोई दवाएं नहीं दी गई। करीब 500 रुपये की दवा निजी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी।

केस 03- अर्की निवासी सोमा देवी ने कहा कि वह अस्पताल में जांच के लिए माह में एक बार आती थीं। मगर उन्हें अस्पताल से आयरन और कैल्शियम नहीं दिया गया। चिकित्सक ने बाहर को ही दवाएं लिखी।

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