माया-मुलायम ने सरकार की नैया पार लगाई

लोकसभा में मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई के फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए विपक्ष द्वारा लाया गया प्रस्ताव गिर गया। सदन में बहस के दौरान संख्याबल में कमजोर पड़ रही सरकार को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने बचाया। दो दिन की बहस के बाद प्रस्ताव पर वोटिंग के समय दोनों पार्टियों ने सदन का बहिष्कार कर दिया।

बुधवार शाम को लोकसभा में रिटेल में एफडीआई को लेकर कुल 471 सदस्यों ने मतदान किया। इसमें 253 ने एफडीआई के समर्थन तो 218 ने खिलाफ में वोट दिया। जबकि सपा के 22 और बसपा के 21 सांसदों ने वोटिंग से ठीक पहले वॉकआउट किया। कुल 71 सदस्य वोटिंग से दूर रहे।

उल्लेखनीय है कि एफडीआई पर बहस के दौरान सपा-बसपा ने देश में विदेशी किराना दुकानों का जमकर विरोध किया था। अपने रुख के अनुरूप यदि दोनों ने मतदान में हिस्सा लिया होता तो सरकार हार जाती क्योंकि तब उसके 253 के मुकाबले रिटेल में एफडीआई के खिलाफ 261 वोट होते। लेकिन यह नौबत नहीं आई। सपा-बसपा की कथनी और करनी में अंतर के कारण सरकार लोकसभा में एफडीआई की सियासी जंग जीत गई।

नियम 184 के तहत हुई तीखी बहस में विपक्ष भले ही ज्यादा मुखर दिखा, लेकिन सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट उससे कहीं बेहतर साबित हुआ। वैसे इस जीत के बावजूद सरकार की अगली अग्नि परीक्षा राज्यसभा में होगी, जहां इस प्र्रस्ताव पर बृहस्पतिवार और शुक्रवार को बहस होगी। राज्यसभा में सरकार के पक्ष में आंकडे़ कमजोर हैं। बहरहाल, लोकसभा में डीएमके ने तो सरकार का साथ दिया। जबकि जनतादल (सेक्युलर) ने झटका देकर विपक्ष के साथ मतदान किया।

इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने रिटेल एफडीआई को देशहित में बताते हुए कहा यह फैसल पिछले 12 साल से जारी चर्चा का नतीजा है। उन्होंने कहा कि एनडीए शासन में कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का इसलिए विरोध किया था कि तब सरकार बिना चर्चा के इस पर अमल करना चाहती थी। उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि यूपीए सरकार ने संसद में दिए वचन का पालन पालन नहीं किया।

शर्मा ने कहा कि सात दिसंबर 2011 को संसद में बयान देने के बाद तत्कालीन वित्तमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ चर्चा की थी। खुद उन्होंने प्रकाश सिंह बादल, नितीश कुमार, नवीन पटनायक, ममता बनर्जी से मुलाकात कर चर्चा की। सभी मुख्यमंत्रियों से लेकर संसद के दोनों सदनों के नेताओं को पत्र लिखे गए। उन्होंने कहा कि यदि विदेशी कंपनियां यहां आई तो हल्दीराम व बीकानेर वाला समेत अन्य भारतीयों ने भी विदेशों में अपनी दुकानें खोली हैं। हालांकि सुषमा स्वराज मंत्री के बयान से संतुष्ट नहीं हुई।

बहस का जवाब देते हुए सुषमा ने कहा कि भले ही शर्मा ने इसके पक्ष में तर्क दिए हों, लेकिन यह मामला करोड़ों लोगों की रोजीरोटी से जुड़ा है। इससे सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक वर्ग के लोग प्रभावित होंगे क्योंकि सच्चर कमेटी ने भी कहा है कि खुदरा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मुसलिम समुदाय से हैं। उन्होंने सपा और बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मतदान के समय बाहर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई सांप्रदायिक मतदान नहीं हो रहा था।

जीत से पीएम-सोनिया गदगद
लोकसभा में एफडीआई की सियासी जंग जीतने के बाद गदगद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इससे सरकार के आर्थिक सुधारों पर मुहर लग गई है। भले ही लोकसभा में सरकार बहुमत का 272 का आंकडा नहीं जुटा पाई मगर इसके बावजूद विपक्ष के प्रस्ताव को नंबर गेम में हराने पर सोनिया ने कहा कि वे बेहद खुश हैं। उन्हें अब राज्यसभा की चिंता नहीं है।

मामला सीबीआई बनाम एफडीआई का: सुषमा
भाजपा ने कहा है कि लोकसभा में भले ही सरकार रिटेल में एफडीआई के प्रस्ताव में जीत गई हो, लेकिन यह मामला विपक्ष बनाम एफडीआई का नहीं था। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि वास्तव में यह मुद्दा सीबीआई बनाम एफडीआई था।

ममता बोलीं, सरकार अल्पमत में
तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वोटिंग से साफ हो गया है कि केंद्र की सरकार अल्पमत में है। सरकार के पास सदन की कुल संख्या को देखते हुए बहुमत का न्यूनतम आंकड़ा 271 होना चाहिए, लेकिन उसके पास केवल 253 सदस्यों का समर्थन है। उन्होंने मीडिया से बात करने के बाद फेसबुक पर अपने पोस्ट में लिखा कि स्वार्थी लोगों की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार ने अपनी विश्वसनीयता आज खो दी। उसे अब नए सिरे से जनादेश लेना चाहिए।
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