पांवटा साहिब (सिरमौर)। महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक उत्थान में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका अहम होती जा रही है। महिला एवं बाल विकास परियोजना पांवटा क्षेत्र के अंतर्गत 1426 स्वयं सहायता समूह चल रहे है। महिलाओं के इन समूहों ने करीब 6.92 करोड़ राशि एकत्र की है। इसमें से करीब 3 करोड़ राशि आपस में इंटरलोन पर दी गई है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रही है।
महिला सशक्तिकरण के लिए आर्थिक रुप से महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयास रंग लाते नजर आने लगे है। पांवटा क्षेत्र में महिलाओं के करीब 1426 स्वयं सहायता समूह बने है। इन समूहों में शामिल सदस्य हर माह आपस में 50 से 100 रुपए एकत्र करती है। आर्थिक रूप से मजबूती के लिए राशि जोड़ने के प्रयास में समूहों ने अब तक करीब 6.92 करोड़ राशि एकत्र कर ली। इसी आधार पर विभिन्न बैंकों से अब तक 9.81 करोड़ ऋण लिया गया। महिलाओं के लोन की रिकवरी 8.64 करोड़ रही। 88 फीसदी रिकवरी प्राप्त हुई।
इन स्वयं सहायता समूहों ने अपने एकत्र राशि में से भी करीब 3 करोड़ कम दरों पर इंटरलोन आपस में दी गई है। कम ब्याज पर राशि मिलने से महिलाओं ने दुधारी पशु खरीदने, बुनाई कड़ाई समेत छोटी परचून की दुकान, कृषि-बागवानी, जमीनें, गाय, भेड़, बकरियां खरीद कर पालने व बच्चों की शिक्षा धनराशि व्यय करना शुरू कर दिया। इससे महिलाओं को अब बच्चों की शिक्षा, अपने व परिवार के खर्चों के लिए, किसी दूसरे का मुंह नहीं ताकना पड़ता है।
उधर, सीडीपीओ पांवटा मदन चौहान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से महिला स्वयं सहायता समूहों ने आत्मनिर्भता की तरफ हाथ बढ़ाए है। बैंकों से ली गई ऋण राशि की रिकवरी भी 88 फीसदी रही है। इन समूहों ने अपनी ही 6.92 करोड़ राशि एकत्र कर ली। कम ब्याज दरों पर ऋण लेकर छोटा व्यवसाय या दुधारू पशु पालकर धन अर्जित कर आर्थिकी मजबूत की जा रही है।