मर्यादा आदर्श का प्रतीक राम-सीता विवाह

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता जी से विवाह किया था। जिसका वर्णन श्री रामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है। श्री रामचरितमानस के अनुसार महाराजा जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सके तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्री राम को आज्ञा देते हुए कहा,” हे राम ! उठो शिव जी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ।”

गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़ें। यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया। प्रभु की ओर देखकर सीता जी ने मन ही मन निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या तो रहेगा ही नहीं। माता सीता के मन की बात प्रभु श्री राम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया।

यह देख कर सीता के मन को संतोष हुआ। फिर सीता श्रीराम के निकट आईं। सखियों के बीच में जनकपुत्री सीता ऐसी शोभित हो रही थ‍ी जैसे बहुत-सी छवियों के बीच में महाछवि हो। तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा। उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे थे, मानो डंडियों सहित दो कमल चंद्रमा को डरते हुए जयमाला दे रहे हो। तब सीता जी ने श्री राम के गले में जयमाला पहना दी। यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे। नगर और आकाश में बाजे बजने लगे।

श्री राम-सीता की जोड़ी इस प्रकार सुशोभित हो रही थी मानो सुंदरता और श्रृंगार रस एकत्र हो गए हो। पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग में यश फैल गया कि श्री राम ने धनुष तोड़ दिया और सीता जी का वरण कर लिया। इसी के मद्देनजर प्रति वर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दम्पत्ति माने गए हैं।

जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने सदा मर्यादा पालन करके पुरुषोत्तम का पद पाया, उसी तरह माता सीता ने सारे संसार के समक्ष पतिव्रता स्त्री होने का सर्वोपरि उदाहरण प्रस्तुत किया। इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

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