बीबीएन में पानी और हवा हो गए हैं जहरीले

बीबीएन में पानी और हवा हो गए हैं जहरीले

बद्दी (सोलन)
एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब बीबीएन की आबोहवा फिर जहरीली होने लगी है। लॉकडाउन के दौरान संवर चुका पर्यावरण फिर से दूषित होने लगा है। अप्रैल में जहां हवा में पार्टिकल की मात्रा 49 थी, अब बढ़कर 125 तक पहुंच गई है। यह हवा सांस की बीमारी के रोगियों, बच्चों और बूढ़ों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बीबीएन के नदी-नालों का पानी भी दूषित होने लगा है।

अप्रैल में सरसा नदी के पानी में बीओडी (बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा 0.6 थी। अब सितंबर में 2.0 हो गई है। नालागढ़ की एक फार्मा कंपनी के एक निजी संस्था ने वेस्ट पानी के लिए सैंपल लिए थे, जिसमें सिपलोफ्लोक्सिन की मात्रा आठ हजार गुणा अधिक पाई गई। यही पानी यहां के नदी नालों में जा रहा है, जिससे मछलियां मर रही हैं।
लॉकडाउन के दौरान बीबीएन प्रदूषण मुक्त था। लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रदूषण वापस बढ़ने लगा है। बीबीएन की सरसा नदी का पानी एकदम साफ हो गया था। अब दूषित पानी आने से मछलियां मर रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक अब नालागढ़-बद्दी राष्ट्रीय मार्ग पर 30 हजार छोटे-बड़े वाहन रोज चलना शुरू हो गए हैं। सड़कों पर हॉर्न का तीखा शोर और प्रदूषण बढ़ने लगा है। यहां स्थापित कुल दो हजार उद्योगों में से 90 फीसदी ने काम करना शुरू कर दिया है।

कई क्षेत्रों में नहीं रहा पीने योग्य पानी
पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने वाली हिम परिवेश संस्था के महासचिव बाल कृष्ण शर्मा ने बताया कि बीबीएन का पानी और हवा दोनों जहरीले हो गए हैं। बीबीएन में कुछ ही स्थान ऐसे बचे हैं, जहां का पानी पीने लायक है। मलपुर, भुड्ड, भाटियां, सल्लेवाल, सनेड़, किशनपुरा में कैंसर रोगी लगातार बढ़ रहे हैं।

औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने से बढ़ रहा प्रदूषण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता प्रवीण गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन में उद्योग बंद थे और सड़कों पर वाहन भी न के बराबर थे। अब औद्योगिक गतिविधियां दोबारा शुरू हो गई हैं। इसके चलते प्रदूषण बढ़ना लाजिमी है।

 

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