आमतौर पर ये परंपरा रही है कि ब
साथियों,
हमारे देश में एक पुरानी अवधा
बजट उपरांत गहन विचार-विमर्श कार्यान्वयन और समयबद्ध आपूर्ति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है; इससे करदाताओं के धन की पाई-पाई का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है”
“हम सुशासन पर जितना बल देंगे, अंतिम छोर तक पहुंचने का हमारा लक्ष्य उतनी ही आसानी से पूरा हो जायेगा”
“अंतिम छोर तक पहुंचने की दृष्टि और परिपूर्णता की नीति एक-दूसरे की पूरक हैं”
“जब हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति तक पहुंचना है, तब भेदभाव और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी”
“इस वर्ष के बजट में जनजातीय और ग्रामीण इलाकों के अंतिम छोर तक पहुंचने के मंत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है”
“पहली बार, देश इतने बड़े पैमाने पर हमारे देश के जनजातीय समाज की विशाल क्षमता को आगे ला रहा है”
“जनजातीय समुदाय के अत्यंत वंचितों को विशेष मिशन के तहत तेजी से सुविधायें उपलब्ध करने के लिये समग्र-राष्ट्र की दृष्टि की आवश्यकता है”
“आकांक्षी जिला कार्यकम अंतिम छोर तक पहुंचने के संदर्भ में एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘रीचिंग द लास्ट माइल’ (अंतिम छोर तक पहुंचना) पर आज बजट वेबिनार को सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह चौथा वेबिनार है।
अपने वक्तव्य के आरंभ में प्रधानमंत्री ने बजट पर संसद में होने वाली बहस के महत्त्व को रेखांकित करते हुये कहा कि सरकार ने इससे एक कदम आगे बढ़ाया है तथा पिछले कुछ सालों में सरकार ने बजट के बाद हितग्राहियों के साथ गहन विचार-विमर्श की एक नई परंपरा शुरू की है। उन्होंने कहा, “यह कार्यान्वयन और समयबद्ध आपूर्ति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इससे करदाताओं के धन की पाई-पाई का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के लिये धन के साथ-साथ राजनीतिक इच्छा-शक्ति की भी जरूरत होती है। सुशासन और वांच्छित लक्ष्यों के लिये निरंतर निगरानी के महत्त्व पर बल देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “हम सुशासन पर जितना बल देंगे, अंतिम छोर तक पहुंचने का हमारा लक्ष्य उतनी ही आसानी से पूरा हो जायेगा।” उन्होंने मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण और वैक्सीन कवरेज व कोरोना महामारी के मद्देनजर नये सोच-विचार का उदाहरण दिया तथा इस तरह अंतिम छोर तक आपूर्ति में सुशासन की शक्ति का परिचय दिया।
परिपूर्णता की नीति के पीछे की सोच के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतिम छोर तक पहुंचने की दृष्टि और परिपूर्णता की नीति एक-दूसरे की पूरक हैं। उन्होंने कहा कि पुराने परिदृश्य में सब-कुछ इसके उलट था, जहां गरीबों को बुनियादी सुविधाओं के लिये सरकार के पीछे दौड़ना पड़ता था, लेकिन अब सरकार गरीबों के द्वार तक पहुंच रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिस दिन हम तय कर लें कि हर क्षेत्र में हर नागरिक तक हर बुनियादी जरूरत पहुंचाई जायेगी, तब स्थानीय स्तर पर कार्य संस्कृति में हम बड़ा बदलाव आता देखेंगे। परिपूर्णता की नीति के पीछे यही भावना काम कर रही है। जब हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति तक पहुंचना है, तब भेदभाव और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी। और तभी, हम अंतिम छोर तक पहुंचने का लक्ष्य पूरा करने में सक्षम होंगे।”
इस सोच का उदाहरण देते हुये प्रधानमंत्री ने पीएम स्वानिधि योजना की चर्चा की, जिसके जरिये रेहड़ी-पटरी वालों को औपचारिक बैंकिंग से जोड़ा गया। उन्होंने डेवलपमेंट एंड वेलफेयर बोर्ड फॉर डी-नोटीफाइड, नोमैडिक एंड सेमी-नोमैडिक कम्यूनिटीज, गावों के पांच लाख सामान्य सेवा केंद्रों तथा टेली-मेडिसिन का भी उदाहरण दिया। उल्लेखनीय है कि टेली-मेडिसिन के क्षेत्र में 10 करोड़ परामर्श किये गये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट में जनजातीय और ग्रामीण इलाकों के अंतिम छोर तक पहुंचने के मंत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में जल जीवन मिशन के लिये करोड़ों रुपयों का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि 60 हजार से अधिक अमृत सरोवरों पर काम चालू हो चुका है, जिनमें से 30 हजार सरोवरों का निर्माण हो गया है। उन्होंने कहा, “ये अभियान दूर-दराज रहने वाले उन भारतीयों के जीवनस्तर में सुधार ला रहे हैं, जो दशकों से इन सुविधाओं का इंतजार करते रहे हैं। हमें यहीं नहीं रुकना है। हमें पानी के नये कनेक्शनों और पानी की खपत के तरीकों के लिये प्रणाली बनानी है। हमें इस बात की भी समीक्षा करनी होगी कि जल समितियों को और मजबूत करने के लिये क्या किया जा सकता है।”
प्रधानमंत्री ने हितग्राहियों से आग्रह किया कि वे मजबूत मगर सस्ते मकान बनाने के लिये प्रौद्योगिकी के साथ आवासन को जोड़ने के तरीकों पर चर्चा करें। वे सौर ऊर्जा से लाभ उठाने के आसान तरीकों को खोजने तथा शहरी व ग्रामीण, दोनों इलाकों में लागू करने योग्य ग्रुप हाउसिंग के मॉडलों पर भी चर्चा करें। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में गरीबों के लिये मकान बनाने के मद्देनजर 80 हजार करोड़ रुपये रखे गये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पहली बार, देश इतने बड़े पैमाने पर हमारे देश के जनजातीय समाज की विशाल क्षमता को आगे ला रहा है। इस बजट में जनजातीय विकास को प्रमुखता दी गई है।” एकलव्य आवासीय विद्यालयों में स्टाफ की नियुक्ति के लिये भारी प्रावधान का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने उपस्थितजनों से कहा कि वे इन स्कूलों के शिक्षकों व छात्रों के फीडबैक को देखें तथा यह विचार करें कि इन स्कूलों के छात्रों को कैसे बड़े शहरों का अनुभव कराया जा सकता है। उन्होंने सबसे आग्रह किया वे इन स्कूलों में अधिक से अधिक अटल टिंकरिंग प्रयोगशालायें बनाने के तरीकों पर विचार करें तथा स्टार्ट-अप सम्बंधी पक्षों पर कार्यशालाओं आयोजित करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार जनजातीय समुदायों के सबसे अधिक वंचितों के लिये एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमें देश के 200 से अधिक जिलों में 22 हजार से अधिक गांवों के अपने जनजातीय मित्रों को तेजी से सुविधायें उपलब्ध करानी हैं।” प्रधानमंत्री ने इस संबंध में पसमांदा मुसलमानों का भी उल्लेख किया। इस बजट में सिकिल सेल से पूरी तरह मुक्ति पाने का भी लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, “इसके लिये सम्पूर्ण-राष्ट्र की सोच अपनानी होगी। इसलिए स्वास्थ्य सम्बंधी हर हितग्राही को तेजी से काम करना होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यकम अंतिम छोर तक पहुंचने के संदर्भ में एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है। इस सोच को आगे बढ़ाते हुये, देश के 500 उप-खंडों में एक आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य का समापन करते हुये कहा, “आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के लिये, हमें तुलनात्मक मानदंडों को उसी तरह ध्यान में रखना होगा, जैसा हम आकांक्षी जिलों के मामले में करते हैं। ब्लॉक स्तर पर भी हमें प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार करना होगा।”
*****
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा आयोजित ‘प्रयोगशालाओं की क्षमता और उनकी प्रबंधन प्रणाली’ से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 17 देशों के 33 प्रतिभागियों ने भाग लिया
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के प्रशिक्षण विंग राष्ट्रीय मा
3 सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम
राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण सं
बीआईएस द्वारा क्रमशः 2004 और 2011 से एनआईटीएस के माध्यम से प्रबं
14 नवंबर, 2022 से 9 दिसंबर, 2022 तक आयोजित मानकीकरण एवं अनुरू
*******
विज्ञापनों में जो भी खुलासे किये जाएं, वह स्पष्ट होनी चाहिए और हैशटैग या लिंक के समूहों के साथ मिश्रित नहीं होनी चाहिए : केंद्र
विज्ञापन-प्रणाली में नैतिक मानदंडों की आवश्यकता तथा जिम्मेदार विज्ञापन-प्रणाली और उपभोक्ता सुरक्षा का महत्त्वः उपभोक्ता कार्य विभाग सचिव
उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि जो भी डिसक्लोजर (खुलासा) किया जाये, वह स्पष्ट नजर आना चाहिये और हैशटैग या लिंक के समूहों के साथ मिश्रित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने #गेटराइट ब्रांड इंफ्लूयेंसर समिट 2023 में वर्चुअल माध्यम से दिये जाने वाले अपने प्रमुख वक्तव्य में यह कहा। कार्यक्रम का आयोजन आज मुम्बई में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने किया था। समिट में जिम्मेदार विज्ञापन-प्रणाली व्यवहारों और उपभोक्ता संरक्षण केंद्रीय विषय था।
सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने कहा कि जिन तस्वीरों में किसी वस्तु का अनुमोदन किया जाये, उस पर सारे खुलासों को सुपर-इम्पोज किया जाये। इसी तरह वीडियो में जो अनुमोदन किया जाये, उसका खुलासा दृश्य व श्रवण, दोनों प्रारूपों में किया जाये। प्रत्यक्ष स्ट्रीम में खुलासों को लगातार प्रमुख स्थान पर दर्शाया जाता रहे।
श्री सिंह ने निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, विज्ञापन-कर्ताओं और विज्ञापन एजेंसियों की जवाबदारी पर जोर देते हुये कहा कि इन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि इनके विज्ञापन उपभोक्ताओं को गुमराह न करें। उनके प्रमुख वक्तव्य ने जवाबदेह विज्ञापन-प्रणाली और उपभोक्ता संरक्षण के महत्त्व पर अमूल्य विचार प्रस्तुत किये।
श्री सिंह ने कारोबारों का समर्थन करने और उपभोक्ता हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाने की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा व्यक्त की गई भावना को दोहराया कि दोनों को साथ-साथ चलना चाहिए।
उन्होंने भारतीय संसद द्वारा पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का हवाला दिया, जो भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। श्री सिंह ने अच्छे और बुरे विज्ञापनों के बीच अंतर किया और कहा कि सरकार का इरादा कारोबार के विकास को बाधित करना नहीं है, बल्कि नैतिक मानकों को सुनिश्चित करना है।
भारत में 75 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से 50 करोड़ सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं। इन्हें मद्देनजर रखते हुये श्री सिंह ने पारंपरिक विज्ञापन से सोशल मीडिया विज्ञापन में आने वाले आमूल बदलाव और इस काम को जिम्मेदारी से किये जाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली लोगों और मशहूर हस्तियों के लिए यह जरूरी है कि वे विज्ञापनकर्ताओं के साथ अपने हर तरह के लाभकारी सम्बंधों का खुलासा करें, जो उनके प्रतिनिधित्व की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकते हैं।
*****
आदिवासी संस्कृति को साकार करती कला
ट्राइबल ज्वेलरी, पेंटिंग्स के साथ और भी बहुत कुछ है यहां
अगर आपने आदिवासी संस्कृति को निकट से नहीं देखा है तो आपको डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में जरूरी आना चाहिए। इस कला के महासंगम में ठेठ ट्राइबल कल्चर की झलक जहां विभिन्न कलाओं में तो दिखेगी ही, इसके साथ—साथ हस्तकला के अनुपम आइटम्स में भी दिखाई देगी।
दरअसल, देश के जाने—माने झारखंड के आदिवासी क्षेत्र के दस्तकार संतू कुमार प्रजापति की स्टाल पर आदिवासियों के रोजमर्रा के काम में आनेवाली वस्तुएं देखी जा सकती हैं। बताते हैं ये वस्तुएं खुद आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई जाती हैं। उन्हें बढ़ावा देने के लिए जहां भी कला उत्सवों को आयोजन होता है, इन्हें प्रदर्शित करने के साथ ही इनकी बिक्री भी की जाती है। प्रजापति बताते हैं कि उनकी स्टाल पर जहां पूजन और सजावट वाली मेटल, खासकर पीतल की मूर्तियों से लेकर नेचुरल कलर्स से बनी पेंटिंग्स भी उपलब्ध हैं।
इस स्टाल पर मेटल की मूर्तियों में जहां देवी—देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं, वहीं सजावट की खूबसूरत डिजाइंस की मूर्तियां भी हैं। खास बात यह है कि इन प्रतिमाओं की बारीक कारीगरी इन्हें और आकर्षक बनाती हैं।इसके अलावा जूट के थैले यानी बैग्स भी एक से एक बेहतरीन डिजाइंस में उपलब्ध हैं।
लुभाती है डोक्रा ज्वेलरी—
इस स्टाल पर आदिवासियों की डोक्रा ज्वेलरी भी विजिटर्स को लुभा रही है। यह गहने किसी कीमती धातु सोने या चांदी के नहीं बने हैं, बल्कि इन्हें टेराकोटा, धागों और रस्सी से बनाया गया है। इनमें गले के रंग बिरंगे हार के साथ—साथ कान की बालियां, कंठा आदि भी देखते ही आकर्षित करते हैं।
खूबसूरत पेंटिंग्स—
इस स्टाल पर उपलब्ध पेंटिंग्स नेचुरल कलर्स यानी मिट्टी, छाल आदि से बनी हुई हैं। इनमें पशु—पक्षियों के खूबसूरत चित्र उकेरे गए हैं। इन पेंटिंग्स को दो साइज में बनाया गया है। प्रजापति बताते हैं कि उनकी स्टाल पर रखी प्रत्येक वस्तु, एक तो आदिवासी संस्कृति से जुड़ी हुई है, दूसरे इनकी कीमत इतनी कम है कि कोई भी खरीद सकता है और अपने ड्राइंग रूम आदि की शोभा बढ़ा सकता है।
*****
कला एक ऐसी विधा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है: अर्जुन मेघवाल
14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में कला दर्शनम आर्ट कैंप का शुभारंभ
कला एक ऐसी विधा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है, तभी जीवित रह पाती है। यह हमारे देश का सौभाग्य है कि चाहे पेंटिंग हो, गायन हो, डांस हो या अन्य कोई आर्ट, विरासत के रूप में आगे बढ़ी और फलीफूली। यह विचार बीकानेर के डॉ करणी सिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कला दर्शनम आर्ट कैंप के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने व्यक्त किए। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता उपस्थित थी।
केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि इस कला संगम में जहां वरिष्ठ कलाकार अपनी सधी कला से सुधी दर्शकों का दिल जीत रहे हैं, वहीं युवा उनसे प्रेरणा लेकर कला को आधुनिक पुट देकर और आकर्षक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे जोश के साथ होश का बेहतरीन समन्वय हो रहा है। युवाओं और अनुभव के साथ से कला में जो निखार आ रहा है वह न सिर्फ आर्ट को गहराई से समझने वाले, बल्कि युवाओं को भी भाने लगा है। मेघवाल ने कहा कि हकीकत यह है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और पूर्ण पारंगत नहीं होता, सीखना एक सतत प्रक्रिया है। जो सीखता जाता है, उसकी कला निखरती जाती है।
इस अवसर पर कूंची से जहां मेघवाल ने स्वास्तिक चिह्न बनाया, वहीं निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने राजस्थानी साफा पहने पुरुष का चित्र उकेरा ।
44 कलाकार कर रहे शिरकत—
दो मार्च तक चलने वाले ‘कला दर्शनम’ कैंप में 44 कलाकर अपनी आर्ट का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें 25 कला के क्षेत्र में नाम कमा चुके वरिष्ठ कलाकारों के साथ ही 19 युवा और स्टूडेंट्स भाग ले रहे हैं। इस कैंप की खूबी यह है कि हर कलाकार अपने उम्दा से उम्दा पेंटिंग्स बना रहे हैं, जिन्हें बीकानेर और आसपास के क्षेत्र से आने वाले दर्शक खूब सराह रहे हैं।
*****
पशुपालन और डेयरी विभाग कल हैदराबाद में भव्य स्टार्ट-अप संगोष्ठी की मेजबानी करेगा
|
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग 28 फरवरी, 2023 को हैदराबाद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, स्टार्टअप इंडिया, सीआईआई और पशुपालन विभाग, तेलंगाना के साथ आपसी सहयोग से एक भव्य स्टार्ट-अप संगोष्ठी का आयोजन करेगा, जिसका उद्देश्य पशुधन, डेयरी और पशुपालन क्षेत्रों में वर्तमान और उभरते स्टार्टअप को बढ़ावा देना है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप शामिल होकर इसकी शोभा बढ़ाएंगे।
इस कार्यक्रम का आयोजन उद्यमियों, निवेशकों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए किया जा रहा है, जिससे वे अपने विचारों और नेटवर्क को साझा कर सकें और एक दूसरे से जानकारी प्राप्त कर सकें। यह कार्यक्रम उद्यमियों और हितधारकों के लिए अपने अभिनव विचारों, उत्पादों और नेटवर्क को प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के प्रमुख दिग्गजों के मुख्य भाषणों, संवादात्मक सत्रों, पैनल चर्चाओं और सफल स्टार्टअप की प्रस्तुतियों को शामिल किया गया है।
संगोष्ठी में चयनित स्टार्टअप का प्रदर्शन, पिच फेस्ट, क्रेता-विक्रेता बैठक, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले प्रारंभिक चरण वाले स्टार्टअप को पिचिंग कला में प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशाला, मुख्य व्यावसायिक स्तंभों का निर्माण और उनके प्रभाव की कहानियां शामिल है।
इस अवसर पर श्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, श्री टी श्रीनिवास यादव, तेलंगाना के पशुपालन, मत्स्य पालन और सिनेमाटोग्राफी मंत्री, डॉ. संजीव कुमार बालियान, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री और डॉ. एल मुरुगन, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री भी उपस्थित होंगे।
********
एक अनोखी पहल के तहत पर्यटन मंत्रालय द्वारा 26 फरवरी, 2023 को भद्रवाह, जम्मू में पहले स्नो-मैराथन का आयोजन
स्नो-मैराथन में 130 से अधिक धावकों की भागीदारी
पर्यटन मंत्रालय ने रियल स्पोर्ट्स इंडिया के साथ मिलकर स्थानीय प्रशासन, अमेज़िंग भद्रवाह टूरिज़्म एसोसियेशन (आबटा) के सहयोग से 26 फरवरी, 2023 को जम्मू के भद्रवाह में स्नो-मैराथन का आयोजन किया। प्रथम जम्मू स्नो रन सफारी को डोडा के उपायुक्त/डीएम श्री विशेष महाजन ने झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान श्री महाजन ने सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई दी। प्रतिभागियों और कार्यक्रम के आयोजकों के साथ बात-चीत करते हुये उन्होंने आह्वान किया कि इस तरह की रोमांचकारी खेल गतिविधियों को प्रोत्साहन देना चाहिये। इसमें खेल के शौकीनों को ज्यादा तरजीह दी जाये। उन्होंने आगे कहा कि गुलडंडा (भद्रवाह) में स्नो रन सफारी जैसी गतिविधियों की अपार संभावनायें हैं, जिसे पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। सीओ-राष्ट्रीय राइफल, एसएसपी-डोडा, सिक्किम पर्टन के संयुक्त सचिव के विभागों तथा जम्मू व कशमीर पर्यटन तथा पर्यटन मंत्रालय, सीओ-भद्रवाह विकास प्राधिकरण के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
अब तक के पहले भव्य स्नो मैराथन कार्यक्रम का आयोजन भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने, जी-20 भारत अध्यक्षता, देखो अपना देश, युवा पर्यटन क्लब और फिट इंडिया मूवमेंट के क्रम में किया गया था। इसका उद्देश्य देशभर में यात्रियों और रोमांच के शौकीनों में स्नो मैराथन जैसे रोमांचकारी खेलों के लिये खेल-भावना का संचार करना था। जिला विकास परिषद, जिला प्रशासन, भारतीय सेना, जम्मू विश्वविद्यालय के भद्रवाह परिसर ने कार्यक्रम के दौरान पूरा समर्थन दिया। मैराथन के अलावा, कई स्कूली बच्चों, शिक्षकों और स्कूल/कॉलेज प्रबंधन को भी दर्शक के तौर पर आमंत्रित किया गया था। स्कूल/कॉलेज के शिक्षकों/प्रवक्ताओं को युवा पर्यटन क्लबों का गठन करने तथा युवाओं की सक्रिय भागीदारी के जरिये पर्यटन को प्रोत्साहन देने की जानकारी भी दी गई।
मैराथन में देशभर से 130 धावकों ने हिस्सा लिया। मैराथन गुलडंडा से शुरू हुई। धावकों को पांच किमी, 10 किमी और 25 किमी तक की दूरी दौड़कर तय करने का विकल्प दिया गया था। भद्रवाह का वह बर्फ से ढका हिस्सा अत्यंत दर्शनीय था। धावकों का उत्साह बढ़ाने के लिये भारी संख्या में स्थानीय लोग जुटे थे। पर्यटन मंत्रालय आने वाले वर्षों में इसी तरह के अन्य कार्यक्रमों के आयोजन पर भी विचार कर रहा है।