फारूक अब्दुल्ला का घर सरकारी जमीन पर, उमर ने खारिज किए आरोप

फारूक अब्दुल्ला का घर सरकारी जमीन पर, उमर ने खारिज किए आरोप

जम्मू
रोशनी एक्ट के लाभार्थियों और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों की सूची जारी होने पर बड़ा खुलासा हुआ है। सियासी दलों के कार्यालयों के बाद अब जम्मू-कश्मीर के बड़े नेताओं के निजी आवास भी सरकारी जमीन पर होने की बात सामने आई है।

जम्मू मंडलायुक्त की ओर मंगलवार जारी सूची में नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष, सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के जम्मू स्थित आवास को भी सरकारी जमीन पर बना बताया गया है। बाहु तहसील के सुंजवां क्षेत्र में यह आवास खसरा नंबर 4,5,6 में सात कनाल सरकारी भूमि में बना हुआ है।
हाईकोर्ट के आदेश पर जम्मू और कश्मीर के मंडलायुक्तों ने रोशनी एक्ट लाभार्थियों और सरकारी जमीन कब्जाने वाले 509 और लोगों की सूचियां जारी की हैं। इनमें नेताओं के साथ कई रसूखदारों के नाम शामिल हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम भी शामिल है।
बाहु के सुंजवां में खसरा नंबर 17 में सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशफाक मीर के पास एक कनाल सरकारी जमीन है। नामी कारोबारी मुश्ताक चाया ने भी सुंजवां में एक कनाल पांच मरला सरकारी भूमि कब्जा रखी है। चाया का नाम प्रशासन की ओर से जारी की गई पहली सूची में भी शामिल था।

सरकार का सोची समझी साजिश
ताजा सूची पर नेकां के उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का कहना है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रोशनी एक्ट के तहत कोई लाभ नहीं लिया। जम्मू और श्रीनगर में उनके आवास का रोशनी एक्ट से लेना देना नहीं है। यह सरकार की सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है। फारूक अब्दुल्ला का घर 1990 के दशक के अंत में बनाया गया था, जिसके लिए लकड़ी को सरकारी डिपो से आवंटित किया गया था।

रोशनी योजना में एक इंच जमीन नहीं खरीदी : डॉ. फारूक
रोशनी योजना के लाभार्थियों की पहली सूची में नाम आने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि योजना के तहत उन्होंने एक इंच भी जमीन नहीं ली है। नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक ने कहा कि रोशनी घोटाले की जांच को उन राजनीतिज्ञों के खिलाफ एक चाल है, जो जम्मू-कश्मीर के मामलों में पार्टी की विचारधारा के साथ भिन्न हैं। यह दबाव बनाने की कोशिश है। डॉ. फारूक ने कहा कि ‘वो हमें डराना चाहते हैं लेकिन हम डरेंगे नहीं।’

श्रीनगर में डॉ. फारूक ने कहा कि उन्होंने न जम्मू और न ही कश्मीर में रोशनी योजना के तहत जमीन खरीदी है। यह जो झूठ फैला रहे हैं हमारे दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं, उन्हें एकजुट होना चाहिए और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। वहीं, नेकां की ओर से जारी बयान में प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि खबर फैलाई जा रही है कि डॉ. फारूक रोशनी एक्ट के लाभार्थी हैं, यह सरासर झूठे इरादे से फैलाई जा रही है। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर या जम्मू में अपने निवास स्थान के लिए रोशनी योजना का लाभ नहीं लिया है। तथ्य यह है कि वे इस कहानी को प्लांट करने के लिए सूत्रों का उपयोग कर रहे हैं, इसका कोई सिर पैर नहीं है।

जमीन कब्जाई, रिकॉर्ड में नहीं दर्शाई
जम्मू संभाग प्रशासन ने अपनी वेबसाइट पर रोशनी एक्ट के लाभार्थियों की दो अन्य सूचियां जारी की हैं। बाहु तहसील में साढे़ तीन एकड़ सरकारी भूमि को लाभार्थियों ने हासिल किया। 383 लोगों की एक अन्य सूची में मारिया में 483 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया। माद्रैयां तहसील, जिला जम्मू में 370 एकड़ जमीन को जम्मू साउथ और 15 ने जम्मू वेस्ट में हासिल किया। रोशनी एक्ट में दो एसपी शिव कुमार सिंह और मनी लाल सहित 10 लाभार्थियों को बाहु तहसील में दिखाया गया है। सरकारी कर्मियों और व्यवसायियों ने 5 एकड़, 419 लोगों में अधिकतर किसानों ने खौड़ तहसील में 405 एकड़ भूमि को हासिल किया। सूची में नजूल में 4 एकड़ भूमि लाभ को दर्शाया गया है।

कश्मीर मंडलायुक्त ने जारी की 130 लोगों की सूची,
कश्मीर मंडलायुक्त की ओर से रोशनी घोटाले में शामिल 130 लोगों की दूसरी सूची मंगलवार को जारी की गई। इसमें कांग्रेस नेता केके अमला, बिजनेस मैन मुश्ताक छाया, फेयरडील कांप्लेक्स के स्वामी मोहम्मद सलीम बख्शी, सुरैया अब्दुल्ला और मोहम्मद हुसैन जान जैसे प्रमुख लोगों के नाम शामिल हैं। इन सभी पर रोशनी एक्ट के तहत सरकारी जमीन कब्जाने का आरोप है।

 

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