फाइलों में सिमटी इंसीटू पद्धति से आम उगाने की योजना

नादौन (हमीरपुर)। हमीरपुर जिले के साथ-साथ नादौन उपमंडल में आमों की बहार लाने के लिए करीब 15 साल पहले चलाई गई इंसीटू प्रणाली से आम उत्पादन की योजना केवल फाइलों में सिमट कर रह गई है। बागवानी विभाग की अनदेखी की पोल इस बात से खुलकर रही है कि नादौन ब्लाक की 58 पंचायतों में बागवानों की ओर से घर-घर उगाए गए आम के पौधों पर साइड विनर पद्धति से ग्राफिटिंग करने के लिए केवल एक ही कर्मचारी उपलब्ध है। हालांकि मौसम के बदलते ही आमाें की गुठलियाें से उगाए गए पौधों पर पैबंध लगाने का मौसम जोरों पर है, लेकिन विभाग ने इस ओर कोई विशेष कदम नहीं उठाया है। करीब 15 वर्ष पहले तात्कालिक जिलाधीश सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हमीरपुर जिले के बागवानों को आम की फसल से मालामाल करने के लिए इंसीटू पद्धति से आम उगाने की योजना तैयार करके बागवानी विभाग के सौजन्य से शुरू की थी। योजना में आम के पौधे को गुठली से उगाकर अगले वर्ष इस दशहरी, चौसा, लंगड़ा या किसी अन्य उन्नत किस्म का पैबंध साइड विनर पद्धति से लगाया जाता था। करीब 5-6 सात तक यह योजना ढुलमुल नीति से चलती रही, लेकिन अब दम तोड़ चुकी है। बागवानी विशेषज्ञाें का मानना है कि इस पद्धति से उगाए गए आम के पौधे गर्मियाें में सूखे की मार झेलने में सक्षम होते हैं। हालांकि आजकल भी बागवानों और किसानों ने काफी संख्या में गुठली से आम के पौधे लगा रखे हैं, लेकिन पैबंध लगाने की तकनीक नही जानते। जबकि बागवानी विभाग भी 58 पंचायतों में केवल बेलदार के सहारे इस योजना को हांक रहा है। इससे लोगाें में रोष है। क्षेत्र के बागवानों तथा किसानों प्यार चंद, रामचंद, बृज लाल, वेद प्रकाश, राजकुमार, योगेंद्र आदि की मांग है कि विभाग इस ओर शीघ्र कदम उठाए और पहले की तरह घर-घर जाकर पहले से उगाए गए आम के पौधों पर पैबंध लगाने के कदम उठाए।
उधर, बागवानी विभाग के एचडीओ प्रताप सिंह ने माना कि उनके पास ग्राफ्टिंग करने के लिए केवल एक ही कर्मचारी है। फिर भी लोगों की मांग पर उसे घर घर भेजने का प्रयास किया जाता है।

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