नशा और मानव तस्करी जैसे अपराधों में संलिप्त रहे हैं रोहिंग्या, गृह मंत्रालय को है जानकारी 

नशा और मानव तस्करी जैसे अपराधों में संलिप्त रहे हैं रोहिंग्या, गृह मंत्रालय को है जानकारी 

जम्मू
रोहिंग्याओं को प्रदेश से बाहर निकालने की तैयारी लगभग कर ली गई है। सरकार का पक्ष है कि रोहिंग्या सुरक्षा के लिए खतरा हैं, इसलिए उन्हें प्रदेश से बाहर निकालना जरूरी है। सुरक्षा के अलावा भी कई ऐसे मामले हैं, जिसमें उनकी बढ़ती संलिप्तता भी बड़ा खतरा बन चुकी है। कुछ लोगों पर नशे से लेकर मानव तस्करी तक के मामले दर्ज हैं। 

जानकारी के अनुसार आठ रोहिंग्याओं पर नशा तस्करी और मानव तस्करी के मामले दर्ज हैं। इसके अलावा मारपीट के भी दो मामले दर्ज हैं। चोरी की घटनाओं में भी चार से पांच मामले रोहिंग्याओं के खिलाफ पाए गए हैं। बताया गया कि ये लोग नेपाल से बंगाल और फिर जम्मू में नशे की सप्लाई कर रहे थे। खुफिया एजेंसियों ने केंद्रीय गृह विभाग को अपनी रिपोर्ट बनाकर भेजी थी कि यह लोग नशा तस्करी और मानव तस्करी में बड़े स्तर पर शामिल होने लगे हैं। 

रोहिंग्या बस्ती में बढ़ता प्रदूषण
जम्मू में त्रिकुटा नगर की मराठा बस्ती, नरवाल और बठिंडी में इन्होंने अपने अवैध ठिकाने बना रखे थे। रोहिंग्या बस्तियों में गंदगी भी एक बड़ा मुद्दा है, जबकि इनकी बढ़ती जनसंख्या भी चुनौती बन चुकी थी। ऐसे ही कारणों की वजह से अब रोहिंग्याओं को प्रदेश से बाहर भेजना जरूरी हो गया है।

इनकी बस्तियों में गंदगी और प्रदूषण के खिलाफ स्थानीय लोग लगातार इसका कड़ा विरोध कर रहे थे। बिजली-पानी के अवैध कनेक्शन, फर्जी तरीके से मोबाइल सिम लेने, राशन कार्ड और आधार कार्ड बनाने जैसे मामले भी इन पर दर्ज हैं। 

कई बड़े संगठनों ने उठाई मांगी
सीनियर एडवोकेट अंकुर शर्मा का कहना है कि रोहिंग्याओं को एक सोची समझी साजिश के तहत जम्मू में बसाया गया, ताकि जम्मू की भौगौलिक और जनसांख्यिकी स्थिति को बदला जा सके। इन लोगों को पूरी सरकारी सहूलियत मिली रही है। कई लोग इनकी मदद कर रहे हैं। यदि किसी के पास आधार कार्ड या राशन कार्ड है तो इनको यह मुहैया कराने वालों पर भी कार्रवाई जरूरी है।

यह लोग हर तरह से खतरा बन चुके हैं। चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व प्रधान राकेश गुप्ता का भी कहना है कि रोहिंग्या हर तरह से खतरा बन चुके थे। जिनको प्रदेश से बाहर निकालना बड़ी आवश्यकता है। चैंबर ने कई बार इसकी मांग उठाई है। हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन भी रोहिंग्याओं को बाहर करने की मांग कई बार उठा चुकी है।

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