नई सरकार पर क्या सीमेंट कंपनियां बनाना चाहती है दबाव, आखिर क्यों दिखाए ये तेवर ?

नई सरकार पर क्या सीमेंट कंपनियां बनाना चाहती है दबाव, आखिर क्यों दिखाए ये तेवर ?

शिमला
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट कंपनी ने कहीं दबाव बनाने के लिए तो कड़े तेवर नहीं दिखाए। बीते दिन ही सरकार ने कंपनी पर सीमेंट के रेट घटाने का दबाव बनाने के लिए बैठक की थी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई बैठक के दूसरे दिन ही सीमेंट कंपनियों ने कड़े तेवर दिखाए। बैठक में इन कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच हुए विवाद को सुलझाने का मामला गया था। स्वाभाविक रूप से सीमेंट के रेट बढ़ने की भी चर्चा हुई। सरकार ने उपायुक्तों को मध्यस्थता और हस्तक्षेप करने के निर्देश दिए। अब कंपनी के शटडाउन के एलान से सरकार की परेशानी बढ़ गई है। इससे एक तो सीमेंट की आपूर्ति का संकट पैदा होगा और दूसरा इन कंपनियों से जुड़े कर्मचारियों और ट्रांसपोर्टरों के लिए भी रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा।

मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस विवाद को सुलझाने के लिए उद्योग विभाग के अफसर तलब किए थे। उन्होंने मंगलवार देर शाम को बैठक बुलाई थी। हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के बैग में पांच रुपये की बढ़ोतरी हुई है। राज्य में एक महीने में 15 से 20 रुपये प्रति बैग सीमेंट के दाम बढ़े हैं। एसीसी सुरक्षा सीमेंट के दाम 445 रुपये प्रति बैग हो गए हैं, जबकि एसीसी गोल्ड 485 रुपये और अंबुजा सीमेंट 445 रुपये प्रति बैग हो गया है। वीरवार को सीमेंट के दाम क्यों बढ़े हैं, मुख्यमंत्री ने पूरा फीडबैक लिया और कहा कि इन्हें जनहित में कैसे घटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित उपायुक्तों को कंपनियों से बात करने को कहा कि वे रेट घटाएं। अब दूसरे दिन ही इन कंपनी ने हाथ खडे़ करते हुए शटडाउन करने का फैसला ले लिया।

सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच ढुलाई का भाड़ा बढ़ाए जाने से विवाद
मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच ढुलाई का भाड़ा बढ़ाने के विवाद के बीच ही यह सब हुआ है। सरकार ने उपायुक्तों को मामले का समाधान करने को कहा है।

डीसी सोलन, बिलासपुर सीमेंट उद्योग प्रबंधन और ट्रक यूनियन से करेंगे बातचीत
प्रधान सचिव उद्योग आरडी नजीम ने कहा कि एसीसी सीमेंट प्लांट के शटडाउन की सूचना सरकार को मिली है। इसके बाद सरकार ने सोलन और बिलासपुर के उपायुक्तों से कहा है कि वे सीमेंट ढुलाई के भाड़े को लेकर दोनों पक्षों से बातचीत करें। सीमेंट कंपनी प्रबंधन का कहना है कि सीमेंट ढुलाई का रेट पूरे देश में 5.08 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर है। हिमाचल में सीमेंट ढुलाई का रेट 12 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति टन रखा है। कंपनी का कहना है कि सीमेंट ढुलाई के रेट ज्यादा होने के कारण शटडाउन करना पड़ रहा है।

विवाद सुलझाना सरकार की पहली अग्निपरीक्षा
इस विवाद के बीच सीमेंट के रेट को नियंत्रित करना और सीमेंट कंपनियों तथा ट्रांसपोर्टरों के बीच इस विवाद को सुलझाना सरकार की पहली अग्निपरीक्षा होगा। अभी मंत्रिमंडल विस्तार की उलझन में फंसी नवनियुक्त सरकार ठीक से कामकाज शुरू भी नहीं कर पाई है कि यह पहली परीक्षा देनी होगी। इस परीक्षा से पास होना सरकार की बड़ी चुनौती होगा।
पहाड़ी राज्य होने पर हिमाचल में ज्यादा है सीमेंट की ढुलाई का भाड़ा : कुलदीप
बिलासपुर में सीमेंट ढुलाई का काम कर रही बीडीटीएस के कार्यकारिणी सदस्य कुलदीप ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल में सीमेंट और अन्य माल ढुलाई का ट्रक भाड़ा ज्यादा रहता है। अन्य पहाड़ी राज्यों में भी माल ढुलाई का भाड़ा ज्यादा रहता है। मैदानी इलाकों में माल ढुलाई भाड़ा पहाड़ों से आधा रहता है। कहा कि यूनियन वर्तमान में हिमाचल में सीमेंट ढुलाई के रेट 11 रुपये प्रति टन प्रति किमी लिए जाते हैं।

ट्रक सीमेंट लेकर पंजाब के मैदानी इलाकों में जाता है तो भाड़ा आधा यानी 5.50 रुपये प्रति टन प्रति किमी निर्धारित रहता है। डीजल का रेट 15 दिन में एक रुपये लीटर बढ़ता है तो किराया 40 पैसे प्रति किमी प्रति टन के हिसाब से बढ़ता है। ट्रक की चेसी और बैटरी, एक्सल, बीमा राशि घटती और बढ़ती है तो इसी आधार पर भाड़ बढ़ता और घटता रहता है। चालक का वेतन बढ़ने पर भी भाड़ा बढ़ाने की व्यवस्था है। चालकों का वेतन सरकार के तय वेतन के आधार पर दिया जाता है।

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