तनख्वाह देने को फिर टूटेगी एफडी

शिमला। नगर निगम को एक बार फिर डिपॉजिट वर्क की एफडी तुड़वानी पड़ी है। इस बार भी कारण वही है। कर्मचारियों को फरवरी माह की तनख्वाह, पेंशन सहित अन्य वित्तीय लाभ देने हैं। निगम करीब डेढ़ करोड़ की एफडी प्री मैच्योर करवाने जा रहा है। इससे शहर में विकास कार्यों को करने में जुटे ठेकेदारों की देनदारियां भी चुकाई जाएंगी। दस माह में चौथी बार एफडी तुड़वानी पड़ी है। एक बार एफडी के अगेंस्ट लोन भी लिया गया है।
बेहद तंगहाली से गुजर रहे निगम को हर माह करीब ढाई करोड़ तनख्वाह, पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों पर देना पड़ता है। आय के साधन नाममात्र हैं। ऐसे में हर माह तनख्वाह देने के लिए निगम को बैंकों में जमा राशियों का रुख करना पड़ता है। फरवरी माह के लिए ढाई करोड़ की राशि का इंतजाम करना निगम के लिए मुश्किल हो गया है। दो करोड़ की राशि का तो निगम ने जुगाड़ कर लिया है। शेष राशि जुटाने में निगम के हाथ खड़े हो गए हैं। इधर, निगम के ठेकेदारों को लंबे समय से करीब 70 लाख नहीं मिले हैं। सेवानिवृत्त कर्मियों को भी करीब 19 लाख की राशि दी जानी है। अब निगम ने विवश होकर डिपॉजिट वर्क की डेढ़ करोड़ की एक एफडी को प्री मैच्योर करने का फैसला लिया है। एफडी को प्री मैच्योर कर वेतन में तबदील करने का फैसला वीरवार को निगम की बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।

लंबे अरसे से चल रहे यह खेल
2012 के मई माह में डिपॉजिट वर्क की एफडी तुड़वाने तथा जून माह में एफडी के अगेंस्ट एक करोड़ का लोन लेने के बाद कर्मियों को तनख्वाह दी गई थी। अगस्त और सितंबर माह में 1298 कर्मियों और अधिकारियों का सिर्फ नेट सेलरी दी गई। अक्तूबर माह में डिपॉजिट वर्क की दो करोड़ की एफडी से तनख्वाह दी गई। नवंबर माह की तनख्वाह के लिए डिपॉजिट वर्क की एफडी को प्री मैच्योर करने का प्रस्ताव पारित किया गया लेकिन ऐन मौके पर मर्ज एरिया की ग्रांट आ गई, जिसके चलते एफडी टूटने से बच गई। इसे जनवरी माह की तनख्वाह के लिए तुड़वा लिया गया।

एफडी तोड़ी पर राशि वापस नहीं की
नगर निगम की माली हालत के चलते तीन बार डिपॉजिट वर्क की एफडी तोड़नी पड़ी है। इन एफडी को नगर निगम ने इस शर्त पर तोड़ा था कि भविष्य में धन की उपलब्धता के बाद राशि वापस की जाएगी। राशि वापस करना तो दूर नगर निगम कर्मचारियों को वेतन पूरा नहीं कर पा रहा है।

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