जंगली जानवर हो रहे हैं कुपोषण का शिकार, गर्भधारण की समस्या

जंगली जानवर हो रहे हैं कुपोषण का शिकार, गर्भधारण की समस्या

चंडीगढ़
पंजाब के जंगली जानवर कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इस कारण करीब 70 फीसदी मादाएं गर्भ धारण नहीं कर पा रही हैं। जानवर पौष्टिक आहार की तलाश में खेतों की ओर रुख कर रहे हैं। विभाग की रिसर्च में नर जानवरों के शुक्राणु कमजोर हो रहे हैं जबकि मादा जानवरों के अंडाणु भी मजबूत नहीं हैं। जो आबादी बढ़ रही है वह संख्या काफी कम हो गई है। यह भविष्य के खतरे को दर्शा रहा है। बारिश का न होना और फलदार वृझों की कमी के कारण इन पर आधारित जानवरों की प्रजनन शक्ति कम हो रही है। 

नतीजा यह हो रहा है कि जानवर खेतों की ओर पोषण पाने के लिए रुख कर रहे हैं और गर्भाधान के समय भी अधिक दूरी से बचने के लिए खेतों के आस-पास ही रह रहे हैं। जिसके कारण प्रसव भी खेतों में ही हो रहे हैं। अब वन विभाग के अधिकारियों को इन जानवरों के बचाने की चिंता और बढ़ गई है, जिस पर मंथन चल रहा है। 

जानवरों के इस बदले व्यवहार को लेकर वन अधिकारी खासे चिंतित हैं। वह जानवरों के व्यवहार में आए इस बदलाव का अध्ययन कर रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी में यह बात सामने आई है कि जंगलों में जानवरों के लिए पौष्टिक आहार की कमी हो रही है। पंजाब में 2015 के बाद 0.13 प्रतिशत का  जंगलों में  भले ही इजाफा हुआ है, लेकिन इनमें रहने वाले जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन आने लगे हैं।  

नील गाय, हिरन, सांभर, बारहसिंगा आदि जानवरों के सामने यह संकट आ रहा है। अकेले पंजाब वन विभाग की फ्लोर डिवीजन की यदि बात करें तो यहां दो साल पहले 2018 में इन दिनों रोज जानवरों के आने की पांच या छह सूचनाएं रिहायशी लोगों या किसानों के द्वारा दी जाती थीं, लेकिन 2018 के बाद अब रिहाइश और खेतों में आने की 50-60 शिकायतें आ रही हैं। 

हैरानी तो तब हो रही है जब ये जानवर खेतों और रिहाइश के आस-पास बच्चे पैदा कर रहे हैं। ऐसे में रिहाइश और खेतों में वह दुर्घटनाओं का भी शिकार हो रहे हैं। वनकर्मियों को उन्हे रेस्क्यू करने में काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं। खेतों में ऐसे हालात को लेकर किसान भी खासे चिंतित हैं।

कभी-कभी भूख और कुपोषण के प्रभाव से कुपोषित मादाएं गर्भ धारण नहीं कर पातीं, इसलिए भी जानवरों के व्यवहार में यह बदलाव आ सकता है। वह पौष्टिक खाने की तलाश में जंगलों से खेतों और रिहाइश की ओर रुख करते हैं।
-विनोद कुमार (सोनू), अध्यक्ष, चंडीगढ़ पेट्स लवर्स एसोसिएशन

जानवरों के इस व्यवहार को लेकर अध्ययन किया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि शीत ऋतु और बसंत ऋतु के प्रारंभ में जंगलों में भोजन का अभाव होने लगता है। पिछले साल बारिश भी कम हुई थी, जिस कारण जंगलों में चारे की भी कमी हुई है। पौष्टिक खाने की तलाश में ही जानवर खेतों की ओर रुख कर रहे हैं।
-आरके मिश्रा, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, पंजाब

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