चेरी के बगीचे में बागवान ने प्रयोग के तौर पर शुरू की केसर के फूल की खेती

चेरी के बगीचे में बागवान ने प्रयोग के तौर पर शुरू की केसर के फूल की खेती
 शिमला

शिमला जिले के कोटगढ़ के बागवान ने कश्मीरी केसर की खेती करने में सफलता हासिल की है। बाजार में 5 से 8 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकने वाले केसर की खेती में सफलता मिलने से सूबे के किसान-बागवानों के लिए अब आय का एक नया जरिया खुल गया है।

कोटगढ़ के आल्डी निवासी शमशेर सिंह ठाकुर ने बताया कि पर्वतीय कृषि अनुसंधान एवं प्रसार केंद्र सांगला किन्नौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र कुमार शर्मा की प्ररेणा से उन्होंने अपने 8000 फीट की ऊंचाई पर चेरी के बगीचे में प्रयोग के तौर पर केसर की खेती शुरू की।

डाॅ. सुरेंद्र ने ही इन्हें कश्मीरी केसर के बीज उपलब्ध करवाए। केसर का सफल उत्पादन शुरू करने पर शमशेर ठाकुर अब अन्य बागवानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। उन्होंने दो सालों में 50 ग्राम तक केसर उत्पादन का लक्ष्य रखा है। शमशेर का कहना है कि सरकार को अनुदान पर बागवानों को केसर के बीज उपलब्ध करवाने चाहिए।

केसर के जामुनी रंग के फूलों के बीच में जो लाल रंग के रेशे होते हैं उन्हीं से बढ़िया किस्म का केसर मिलता है। जिसे शाही केसर के नाम से भी जाना जाता है। एक बार इसका बीज लगाकर 10 से 15 सालों तक केसर लिया जा सकता है।

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