चुनाव के लिए भाजपा ने गठित कीं प्रबंधन समितियां, बिंदल को सोलन का जिम्मा

चुनाव के लिए भाजपा ने गठित कीं प्रबंधन समितियां, बिंदल को सोलन का जिम्मा

शिमला
पीपीई किट घोटाले में करीबी का नाम आने के बाद हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से हटे डॉ. राजीव बिंदल को प्रदेश भाजपा ने नगर निगम चुनाव में पार्टी की जीत के लिए अहम जिम्मेदारी दी है। नाहन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बिंदल को नगर निगम सोलन के चुनाव प्रबंधन के लिए गठित समिति का प्रभारी नियुक्त किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री एवं कसौली से विधायक डॉ. राजीव सैजल को सह प्रभारी और प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रभारी शिमला संसदीय क्षेत्र पुरुषोत्तम गुलेरिया को समन्वयक नियुक्त किया गया है। खास बात यह है कि सोलन से इतर मंडी, धर्मशाला व पालमपुर के लिए पार्टी ने कैबिनेट मंत्रियों को प्रभारी नियुक्त किया है।

प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के निर्देश पर चार नगर निगमों के चुनाव को देखते हुए गठित चुनाव प्रबंधन समितियों में परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर को नगर निगम पालमपुर के लिए प्रभारी, इंदु गोस्वामी को सह प्रभारी, नगर निगम धर्मशाला में वन मंत्री राकेश पठानिया प्रभारी, सांसद किशन कपूर सह प्रभारी, प्रदेश महामंत्री एवं प्रभारी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र त्रिलोक कपूर को दोनाें नगर निगम की समितियों का समन्वयक लगाया गया है। नगर निगम मंडी के लिए जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह प्रभारी, सांसद रामस्वरूप शर्मा सह प्रभारी और महामंत्री एवं प्रभारी मंडी संसदीय क्षेत्र राकेश जम्वाल को समन्वयक लगाया है।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए होने लगी रस्साकशी
 हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए रस्साकशी शुरू हो गई है। विरोधी मौका मिलते ही दिल्ली दरबार में हाजिरी भर रहे हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कह रहे हैं कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को बदलने की आवश्यकता नहीं है। वीरभद्र सिंह का बयान ऐसे समय पर आया है, जब पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला कसौली में राजनीतिक मामलों, चुनाव समिति और चुनाव समन्वय समिति की बैठक लेने आ रहे हैं। 

प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता लंबे समय से दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। ये नेता प्रदेशाध्यक्ष पद हासिल करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। किसी न किसी बहाने विरोधी गुट के नेता केंद्रीय केंद्रीय नेताओं के पास शिकायतें लेकर भी जाते रहे हैं। हालांकि, इन नेताओं को ज्यादा वजन नहीं दिया जा रहा है और न ही इन शिकायतों की सुनवाई हो रही है। 

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