चार साल में कसाब पर खर्च हुए लगभग 30 करोड़

मुंबई पर हुए आतंकी हमले में पकड़े गये जिंदा आरोपी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में सरकार को 4 साल लग गए। जैसे ही सुबह कसाब को फांसी की खबर लोगों को पता चली तो सोशल साइट्स कसाब की खबरों से भर गईं। फेसबुक पर एक मशहूर लेखक की पोस्ट थी कि सुबह सुबह कसाब की क़ैद से रिहाई हो गई। सिर्फ 50 रुपये में। मेहमान-नवाजी में खर्च हुए 50 करोड़।

आंकड़े भी इसकी पुष्‍टि करते हैं। अजमल कसाब की सुरक्षा, खान-पान, इलाज व अन्य सुविधाओं पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने करीब 29.5 करोड़ रुपये खर्च किए। आर्थर रोड जेल के सूत्रों ने यह जानकारी दी। नवंबर 2008 में कसाब की गिरफ्तारी के बाद जेल में आईटीबीपी के 250 से ज्यादा सुरक्षा गार्ड उसकी सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे। इस पर करीब 26 करोड़ रुपये का खर्च हुआ।

महाराष्ट्र सरकार ने कसाब पर 3.47 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें खाने पर 42 हजार 313 रुपये, सुरक्षा पर एक करोड़ 46 लाख 81 हजार 794 रुपये, दवाइयों पर 39,829 रुपये और कपड़ों पर 1,878 रुपये का खर्च आया।

राज्य सरकार ने 2 करोड़ रुपये की लागत से आर्थर रोड जेल में बुलेट और बम प्रूफ सेल भी तैयार किया। यह सेल एक सुरंग के जरिए विशेष रूप से तैयार कोर्ट से जुड़ा हुआ था। इस सेल पर किसी भी प्रकार के बम का असर नहीं हो सकता, लेकिन कसाब को वहां कभी रखा नहीं गया।

डॉक्टर खुद ही आर्थर रोड जेल जाकर कसाब की सेहत का जायजा लेते रहते थे। पिछले चार साल में 25 से ज्यादा डॉक्टरों ने कसाब का इलाज किया। अगर नियम पर ध्‍यान दे तो अपराधी को फांसी देने के लिए सरकारी बजट से मात्र 50 रूपये खर्च करने का प्रावधान है।

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