माना जा रहा है कि इस कथित रिकॉर्डिंग में ही प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त व पूर्व मुख्य सचिव पार्थ सारथी मित्रा से बातचीत की आवाज दर्ज है। अगर आवाज का मिलान हुआ तो मित्रा की मुश्किलें बढ़ना तय है। पिछले महीने विजिलेंस की मांग को स्वीकार करते हुए शिमला के विशेष जज वन की अदालत ने मामले से जुड़े पांच संदिग्ध आरोपियों के वायस सैंपल लेने की अनुमति दी थी।
पी मित्रा के प्रमुख सचिव राजस्व रहने के दौरान बड़ी संख्या में गैर कृषकों को हिमाचल में जमीन खरीदने के लिए धारा-118 की मंजूरी दी गई। आरोप है कि इस दौरान जमकर भ्रष्टाचार हुआ। पांच से दस लाख रुपये तक घूस ली गई। अकेले 2010 में ही राजस्व विभाग ने ढाई सौ से ज्यादा मामलों में 118 के तहत अनुमति दे दी। पी मित्रा समेत कई अधिकारियों, कर्मचारियों व रिटायर कर्मियों से विजिलेंस घंटों पूछताछ कर चुकी है। पालीग्राफी टेस्ट की अनुमति मांगी थी, लेकिन मित्रा के इंकार के बाद पेच फंस गया था।