गिले-शिकवे हुए दूर: हरीश रावत ने मांगी माफी, कहा- अभी 2027 का मैच भी खेलेंगे, मैं बैटिंग के लिए तैयार

गिले-शिकवे हुए दूर: हरीश रावत ने मांगी माफी, कहा- अभी 2027 का मैच भी खेलेंगे, मैं बैटिंग के लिए तैयार

देहरादून
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जहां हार के लिए कार्यकर्ताओं से माफी मांगी, वहीं उनमें अगले पांच साल के लिए फिर से जोश भी भरा। जो लोग यह समझ रहे हैं कि विस चुनाव में मिली हार के साथ हरीश रावत का सियासी सफर समाप्त हो गया है। उन्हें खुद हरीश रावत ने खुले मंच से संदेश दिया। कहा-अभी 2027 का मैच बाकी है और वह बैटिंग करने के लिए तैयार हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष की ताजपोशी के मंच पर जहां चुनाव में मिली हार का दर्द छलका, वहीं एक-दूसरे पर वार-प्रतिवार भी हुए। काफी हद तक गिले-शिकवे भी दूर होते दिखाई दिए। पूर्व अध्यक्ष के अल्प कार्यकाल के जिक्र के साथ गढ़वाल की उपेक्षा का सवाल भी मंच पर उठा। एक छत के नीचे टुकड़ों में बंटी पार्टी को एकजुटता का संदेश भी दिया गया।

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जहां हार के लिए कार्यकर्ताओं से माफी मांगी, वहीं उनमें अगले पांच साल के लिए फिर से जोश भी भरा। हरीश ने कहा कि ध्रुवीकरण के झूठ के बावजूद पार्टी ने पांच प्रतिशत अधिक वोट प्राप्त किए हैं। हम 11 से 19 पर पहुंचे हैं। अगले पांच साल इतनी मेहनत करेंगे की सत्ता में वापसी से कोई नहीं रोक पाएगा।

पूर्व सीएम ने नई नियुक्तियों में गढ़वाल की उपेक्षा का मुद्दा उठाया तो अपनी बारी आने पर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने भी लगे हाथ इसका जवाब दे दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने (हरीश) पहले उनसे यह बात नहीं कही। जब प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों गढ़वाल से थे, लेकिन आने वाले दिनों में प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व में सभी को उचित सम्मान दिया जाएगा।
हरीश ने इशारों ही इशारों में कहा- अभी 2027 का मैच भी खेलेंगे
अल्प कार्यकाल में ही प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर भी प्रभारी ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में मिली हार के बाद ही सीडब्ल्यूसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया था। इस दौरान उत्तराखंड ही नहीं पांचों राज्यों के अध्यक्षों को बदला गया है। पार्टी अध्यक्ष करन माहरा ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस गढ़वाल-कुमाऊं नहीं उत्तराखंड के लिए काम करेगी। कुछ लोग इस मुद्दे में सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाकर पार्टी में फूट डालना चाहते हैं, लेकिन हम उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। पार्टी का प्रत्येक नेता, कार्यकर्ता पूरे प्रदेश को अपना मानकर कार्य करेगा।

शीघ्र ही वह बूथ स्तर पर कमेटियों का गठन करने जा रहे हैं, इसकी शुरूआत वह गढ़वाल मंडल से करेंगे। जो लोग यह समझ रहे हैं कि विस चुनाव में मिली हार के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का सियासी सफर समाप्त हो गया है। उन्हें खुद हरीश रावत ने आज खुले मंच से संदेश दिया। कहा-अभी 2027 का मैच बाकी है और वह बैटिंग करने के लिए तैयार हैं।
अपने संबोधन में हरीश ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता शूरवीर सिंह सजवाण, हीरा सिंह बिष्ट, दिनेश अग्रवाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, जोत सिंह गुनसोला जैसे नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि इस पीढ़ी के सभी नेता एक जीत के साथ विदाई चाहेंगे। हम सत्ता में वापसी के लिए प्रतीक्षा करेंगे। भाजपा ने भी 46 साल प्रतीक्षा की थी। हरीश ने कहा कि 2027 में हम जैसे सिपाहियों के पास आखिरी वक्त है। इसलिए उन्होंने पुन: डिजिटल सदस्यता भी ले ली है।

सच्ची सेवा की उम्मीद पर झूठ का ग्रहण लग गया : गणेश गोदियाल
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि चुनाव में सभी ने बहुत मेहनत की थी, लेकिन सच्ची सेवा की उम्मीद पर झूठ का ग्रहण लग गया। उन्होंने मंच से प्रदेश प्रभारी को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अल्प कार्यकाल मिला, लेकिन अब अगर प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती चाहते हो, तो अगले पांच साल तक नए कमांडर को हटाना मत। उन्होंने कहा कि हार के बाद उन्होंने खुद इस्तीफे की पैरवी की थी, लेकिन कहा गया कि कांग्रेस नया नेतृत्व पैदा करना चाहती है। उन्होंने सवाल किया, क्या हम लोग बेकार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी वह जहां खड़े हो जाएंगे, लाइन वहीं से शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वह हारे नहीं, बल्कि ठगे गए हैं।
हरीश धामी के मामले में परीक्षण के बाद लिया जाएगा निर्णय

देहरादून। विधायक हरीश धामी के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पहले तो उन्हें मनाया जाएगा। लेकिन, यदि उन्होंने सीमा से आगे बढ़कर कुछ बातें कहीं हैं तो उनका परीक्षण कर इसके बाद तय किया जाएगा कि कार्रवाई होगी या पार्टी हाईकमान के साथ बैठकर कोई हल निकाला जाएगा। हरीश धामी से पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य आदि नेताओं ने भी बात की है। जो आरोप उन पर सामने आ रहे हैं, उन्हें देखा जाएगा, उसके बाद ही इस मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा।
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कार्यक्रम में दिखा अव्यवस्था का आलम, धक्कामुक्की

कांग्रेस भवन में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में अव्यवस्था का आलम देखने को मिला। जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, तमाम कार्यकर्ता फूलों का गुलदस्ता लेकर मंच पर चढ़ गए। इस दौरान मंच संचालन कर रहे विजय सारस्वत ने कई बार कार्यकर्ताओं से धैर्य बनाए रखने की अपील की। लेकिन कार्यकर्ता नहीं माने। इस दौरान मंच पर ही कार्यकर्ताओं के बीच धक्कामुक्की तक देखने को मिली। वहीं दूसरी तरफ तमाम पदाधिकारी मुख्य कार्यक्रम स्थल पर न पहुंचकर पार्टी दफ्तर के कमरों में पसरे नजर आए।

सोशल मीडिया नहीं, पार्टी फोरम पर रखें अपनी बात
कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल आदि ने इस बात पर जोर देकर कहा कि यदि किसी को नाराजगी है तो सोशल मीडिया में अपनी बात रखने के बजाए पार्टी फोरम पर उसे रखा जाए। संगठन में अनुशासन बहुत जरूरी है। जिम्मेदारी पदाधिकारियों का भी दायित्व बनता है कि वह पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी बात रखने का मंच उपलब्ध कराएं।

जाति-संप्रदाय और विद्वेष की राजनीति कर रही भाजपा
पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा गलत बातों को सही साबित करने में सफल हो रही है। देश इस वक्त मुश्किल घड़ी से गुजर रहा है। भाजपा जाति, संप्रदाय और विद्वेष की राजनीति को बढ़ावा दे रही है। यह देश के लिए घातक है। वहीं करन माहरा ने कहा कि आज धर्म का इस्तेमाल लोगों को सहनशील बनाने के लिए नहीं, उसे भड़काने और तोड़ने के लिए किया जा रहा है। हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने का काम किया जा रहा है। गांधी के हत्यारों को पूजा जा रहा है। उन्होंने लोगों को ऐसी राजनीति से सचेत रहने का आह्वान किया।

दीदी रेणुका रावत को याद कर भावुक हुए करन
अपने संबोधन के दौरान करन माहरा ने तमाम उन लोगों का जिक्र किया, जिन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचाने में साथ दिया। इस दौरान वह अपनी बड़ी बहन और हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को लेकर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि दीदी ने उन्हें एक बच्चे की तरह पाला है।

यशपाल ने पिलाई एकजुटता की घुट्टी
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस यदि एकजुट हो जाए तो उसे कोई हरा नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उस पर वह खरा उतरेंगे। कांग्रेस उनके खून में है। कुछ समय के लिए उनका शरीर दूसरी पार्टी में भले ही चला गया था, लेकिन उनकी आत्मा कांग्रेस में ही बसती है।

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