कोर्ट की अवमानना करने पर HPU रजिस्ट्रार निलंबित

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट के आदेशों की अक्षरश: अनुपालना न करने पर हि.प्र. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा. पंकज ललित को निलंबित करने के आदेश जारी किए। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे से ही उक्त अधिकारी रजिस्ट्रार का कार्य करना बंद करें। न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अदालती आदेशों की हो रही अवमानना पर कड़ा संज्ञान लते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार सहित सरकार के अधीन आने वाले अन्य उपक्रमों के अधिकारियों में कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करने की आदत पैदा होती जा रही है। कोर्ट द्वारा दिए गए तय सीमा के भीतर तो क्या सालों तक अदालतों के आदेशों की अनुपालना नहीं हो रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सरकार व अन्य अधिकारियों का कर्तव्य है कि तत्परता व मुस्तैदी से न्यायालयों के आदेशों की अनुपालना करें।
रजिस्ट्रार द्वारा अदालती आदेशों की अनुपालना न करने को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी की। मामले के अनुसार प्रार्थी बरडू राम 20 अक्तूबर 1994 को बतौर दैनिक भोगी कर्मचारी लगा। उसी दिन एक अन्य कर्मचारी भी नियुक्त हुआ। 8 जून 1999 को दूसरे कर्मचारी को नियमित कर दिया गया। प्रार्थी ने याचिका दायर कर मांग की कि उसे भी उसी दिन से नियमित किया जाए जबसे उसके साथ लगे कर्मचारी को नियमित किया गया था। हाईकोर्ट ने प्रार्थी की याचिका स्वीकार करते हुए प्रार्थी को 8 जून 1999 से नियमित माने जाने के आदेश पारित किए तथा सभी लाभ देने के आदेश विश्वविद्यालय को दिए।
हाईकोर्ट ने यह आदेश 12 मई को पारित किए। प्रार्थी ने जब इस फैसले का लाभ लेने के लिए विश्वविद्यालय से गुहार लगाई तो विश्वविद्यालय की ओर से कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। प्रार्थी ने फैसले की कॉपी वाइस चांसलर व रजिस्ट्रार को कई बार दी परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। प्रार्थी ने एक बार फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अनुपालना याचिका दायर की। इस याचिका की सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि उन्होंने कोर्ट के फैसले के खिलाफ खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की है। न्यायालय ने 24 सितम्बर को आदेश पारित कर विश्वविद्यालय को आदेश दिए कि वह प्रार्थी को उसकी याचिका में दिए गए फैसले का लाभ दें। रजिस्ट्रार ने इन आदेशों की अनुपालना भी नहीं की। मामले पर सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।

Related posts