कथित घोटाले में पूर्व मंत्री सिंघी राम को क्लीन चिट देने की तैयारी

कथित घोटाले में पूर्व मंत्री सिंघी राम को क्लीन चिट देने की तैयारी

शिमला
कैंची और आरी खरीद के कथित घोटाले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व बागवानी मंत्री सिंघी राम को क्लीन चिट देने की तैयारी कर दी गई है। विजिलेंस ब्यूरो को इस मामले में पूर्व बागवानी मंत्री सिंघी राम को लपेटने के लिए सीधे सबूत नहीं मिले हैं। अब इस प्रकरण की पूरी फाइल ही बंद करने की तैयारी है। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो ने अभियोजन अधिकारियों की राय भी मांगी है। कैंची और आरी खरीद पर हुए कथित घपले की फाइल बंद करने की यह हलचल ठीक मंडी लोकसभा उपचुनाव से पहले शुरू हुई है। सिंघी राम इस संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले रामपुर विधानसभा हलके से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते आए हैं, मगर अब वह भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

इस मामले की जांच 12 साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन इस संबंध मेें न तो धूमल सरकार और न ही वीरभद्र सरकार ने नियमित केस दर्ज कराया था। यह जांच वर्ष 2008 में शुरू की गई थी। इसे विजिलेंस ब्यूरो ने शिकायत संख्या 10/2008 के रूप में दर्ज किया था। इसे भाजपा की कांग्रेस के खिलाफ बनी चार्जशीट में शामिल किया गया था। इसमें आरोप थे कि वीरभद्र सरकार मेें जब सिंघी राम बागवानी मंत्री थे तो यह खरीद दिसंबर 2005 में की गई तो दो तरह की प्रूनिंग कैचिंयों और आरी की खरीद में अनियमितताएं बरती गईं। इससे विभाग को नुकसान पहुंचाया गया। 

कंपनी को अनुचित लाभ देने के आरोप 
आरोप रहे हैं कि मैसर्ज हर्बल नई दिल्ली को लगभग 25 से 26 लाख रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया। वास्तविक से अधिक दरों पर कैंचियों की खरीद की। करीब 66 लाख रुपये की खरीद की गई। यह खरीद सरकारी उपक्रम हिम एग्रो के माध्यम से उद्यान विभाग के दिशा-निर्देशों पर की गई। इस खरीद में लगभग 10-11 लाख रुपये की अधिक अदायगी की गई। कंपनी को परिवहन और ऑपरेशनल चार्जेज दिए, जो इस फर्म को देय नहीं थे। 

कंपनी ने हलफनामा नहीं दिया, फिर भी की खरीद 
30 मार्च 2002 के निर्णय के अनुसार यह खरीद जर्मनी की कंपनी गार्डिना इंटरनेशनल से की जानी थी। इसके बावजूद इसे मैसर्ज हर्बल नई दिल्ली से किया। अफसरों ने तय किया था कि इस खरीद से पहले नई दिल्ली की फर्म उन्हें हलफनामा देगी कि जर्मनी की कंपनी के रेट उसके बराबर हैं, मगर दिल्ली वाली फर्म ने हलफनामा नहीं दिया। इसके बगैर ही इस फर्म से खरीद हुई। 

1231.25 रुपये में खरीद ली 712.12 रुपये की कैंची 
विजिलेंस में हुई शिकायत के अनुसार दो तरह की कैं चियों की खरीद 1231.25 और 692 रुपये में की गई। प्रति आरी की खरीद 825 रुपये के हिसाब से की गई। हालांकि जर्मनी की कंपनी ने कैंचियों के रेट 712.12 और 360.18 रुपये के अनुसार तय किए। आरी का क्रय 475.16 रुपये हुआ। कुछ अफसरों ने लिखित रूप से यह संदेह जताया था कि ये रेट ज्यादा हैं। 

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