इंटरनेट से घबराया नया चीनी नेतृत्व?

चीन में इंटरनेट से जुड़े नियमों को और सख्त करते हुए सरकार ने कहा है कि अब इसे इस्तेमाल करने वालों को अपनी पहचान पूरी तरह से सेवा प्रदाता कंपनी को जाहिर करनी होगी। तभी वे इंटरनेट का उपयोग कर सकेंगे।

समाचार एजेंसी शिनहुआ के मुताबिक इन फैसलों से लोगों की निजी जानकारियां सुरक्षित होंगी। हालांकि आलोचकों का मानना है कि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार है।

नए नियमों के तहत सेवा प्रदाता कंपनी को इंटरनेट पर मौजूद अवैध सूचना की पहचान होते ही उसका प्रसारण तुरंत रोकना होगा। उन्हें ये सामग्री हटानी होगी और निगरानी करने वाली एजेंसी को रिपोर्ट करने के साथ उसका पूरा ब्यौरा भी देना होगा।

आलोचकों का कहना है कि इस फैसले से यह साफ हो गया है कि चीन का नया नेतृत्व इंटरनेट को एक खतरे के तौर पर देखता है और इसे निशाना बना रहा है।

हाल के महीनों में सामूहिक विरोध प्रदर्शनों को गुपचुप तरीके से आयोजित करने में इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया है। लोगों ने कम्युनिस्ट पार्टी के कई भ्रष्ट अधिकारियों के बारे में भी इंटरनेट पर खुलासे किए हैं।

इंटरनेट पर बंदिश
चीन की सरकार इंटरनेट पर मौजूद सामाग्री पर कड़ी नजर रखती है। संवेदनशील सामाग्रियां नियमित रूप से ब्लॉक की जाती रही हैं। इसे ग्रेट फायरवॉल ऑफ चीन के नाम से भी जाना जाता है।

हालांकि इसके बावजूद चीन के लाखों लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनमें से कई देश हित से जुड़ी अपनी शिकायत या अभियान चलाने के लिये माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन मुद्दों में सरकारी भ्रष्टाचार भी शामिल है।

सरकारी एजेंसी के मुताबिक नये नियमों के तहत इंटरनेट की सर्विस लेने से पहले उपयोगकर्ता को सेवा प्रदाता कंपनी के समक्ष अपनी वास्तविक पहचान जाहिर करनी होगी। वास्तविक नाम के रजिस्ट्रेशन का नियम वर्ष 2011 में ही लागू होना था लेकिन इसे व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया।

चीन की सबसे बड़ी इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी साइनो कॉर्प ने साल की शुरुआत में एक सार्वजनिक दस्तावेज़ में चेतावनी दी थी कि ऐसे फैसलों से उसकी जबरदस्त तरीके से लोकप्रिय हुई माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ‘वीबो’ के इस्तेमाल में बड़ी कमी आएगी।

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